राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने का दिया सुझाव

जबलपुर. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार की सुबह पहुंचे जबलपुर। यहां उन्होंने राज्य न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर्स रिट्रीट का शुभारंभ किया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने न्यायालय में भारतीय भाषाओं को प्रमुखता देने की सलाह दी। कहा कि अक्सर न्यायालय के निर्णय को ठीक-ठीक समझने में आमजन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होने कहा कि वादी-प्रतिवादी तक को निर्णय समझने में परेशानी होती है। लिहाजा मैं चाहता हूं कि सभी उच्च न्यायालय अपने अपने प्रदेश की स्थानीय भाषा में प्रमाणिक अनुवाद अपने निर्णयों का कराएं। अब तो नौ भारतीय भाषा में निर्णय का अनुवाद होने लगा है। लिहाजा उच्च न्यायालय और जिला अदालतों के कार्यों में स्थानीय भाषा का प्रयोग हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश के आम लोगों का भरोसा न्यायपालिका में है। न्याय के आसन पर बैठने वाले व्यक्ति को समय के साथ परिवर्तन और समावेशी होनी चाहिए। न्याय करने वाले व्यक्ति का निजी आचरण भी उच्च होना चाहिए। न्याय व्यवस्था का उद्देश्य न्याय की रक्षा का होता है। न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। रणनीति के रूप में स्थगन का सहारा लेकर मुकदमों को लंबा खींचा जाता है। ऐसी खामियों को दूर करने की पहल होनी चाहिए। न्याय प्रशासन के इस सभी पहलू पर विचार विमर्श होगा। निष्कषों की एक प्रति राष्ट्रपति भवन को उपलब्ध कराई जाए तो मुझे अति प्रसन्नता होगी।

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के मु्ख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक, मेघायल, जम्मू कश्मीर, पंजाब आदि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल हुए।



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