
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि सूबे में फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट बनाकर लागू क्यों नही किया गया? चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग व अन्य को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने यह भी पूछा कि प्रदेश में बहुमंजिला इमारतों, अस्पतालों व होटलों में अग्नि दुर्घटना रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है? जवाब के लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया।
हाईकोर्ट का राज्य सरकार को नोटिस, पूछा-
प्रदेश में क्यों लागू नहीं हुआ फायर एंड इमरजेंसी सर्विस एक्ट
ये है मामला- जबलपुर के रामपुर निवासी राम उर्फ नीलू कुशवाहा की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि 24 राज्यों में फायर सेफ्टी एवं इमरजेंसी एक्ट लागू किया जा चुका है। लेकिन अभी तक मप्र में यह एक्ट लागू नहीं किया गया है। अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने तर्क दिया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार मप्र में अन्य राज्यों की तुलना में अग्नि दुर्घटना में मरने वालों की संख्या अधिक है। याचिका में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के पिछले 10 साल के आंकड़े पेश किए गए हैं।
प्रदेश भर में सार्वजनिक आयोजनों के लिए बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं, लेकिन अग्नि दुर्घटना रोकने के लिए इंतजाम नहीं किए जाते हैं। स्कूलों, सरकारी और गैर सरकारी इमारतों में अग्नि दुर्घटना रोकने के इंतजाम नहीं है। केन्द्र सरकार ने 16 सितंबर 2019 को सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को फायर एवं एमरजेन्सी सर्विस एक्ट लागू करने के लिए कहा था, लेकिन मप्र में अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
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