
जबलपुर। हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश के तहत महज एड्रेस की गलती को मामूली भूल माना। वाणिज्यिक कर विभाग ने ई वे बिल में पते की त्रुटि पर 11 लाख के टैक्स व 11 लाख के जुर्माने सहित कुल 22 लाख रुपए जुर्माना लगाया था। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने इसे घटाकर एक हजार रुपए कर दिया।
ई वे बिल में गलती पर वाणिज्यिक कर विभाग ने लगाया था टैक्स व जुर्माना
पते की गलती मामूली भूल, 22 लाख जुर्माने को हाईकोर्ट ने किया एक हजार
कटनी की कंपनी रॉबिन्स टनलिंग एंड ट्रेंचलेस टेक्नोलॉजी प्रालि. की ओर से याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट को अवगत कराया गया कि याचिकाकर्ता कंपनी को टनल बोरिंग के पुर्जे खराब होने पर अमेरिका स्थित पैरेंट कंपनी से पुर्जे मंगवाने थे। मुंबई बंदरगाह पर इसके लिए कस्टम क्लीयरेंस हुआ। इस दौरान सभी टैक्स चुकाए गए। लेकिन, जब ट्रक से माल मुंबई से कटनी भेजा जाना था, तो ई-वे बिल जारी किया गया। उसमें पुर्जे पाने वाले का नाम गलती से मुंबई का ही लिखा रह गया। यद्यपि ई-वे बिल में माल पहुंचने की दूरी साफतौर पर 1200 किमी दर्ज थी, जो कि कटनी तक की दूरी है। वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों ने इस तरह की लिपिकीय त्रुटि को बढ़ा चढ़ाकर देखा और टैक्स व जुर्माना ठोंक दिया। संयुक्तआयुक्तवाणिज्यिक कर के स्तर पर अपील तक खारिज कर दी गई। इसलिए कंपनी ने हाईकोर्ट की शरण ली। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पते की गलती को लिपिकीय और मामूली त्रुटि मानते हुए टैक्स व जुर्माना घटा दिया।
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