
लाली कोष्टा@जबलपुर। ‘जब हौंसला बना लिया ऊंचा उडऩे का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का’ किसी शायर की इस एक लाइन ने आम गृहणी को इतना प्रभावित किया कि उसने पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में अकेली उतरना कुबूल कर लिया। उसे पता था कि यहां माफिया राज चलता है, लेकिन वो अपने सफर पर अकेले ही चल पड़ी। आज उसके हौंसलों की ही उड़ान है कि वो महाकोशल की एकमात्र ऐसी महिला है जो कोल ट्रेडिंग का काम करती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं जबलपुर निवासी खुर्शीद अंसारी की। पति एलआर अंसारी पेशे से डॉक्टर हैं, दो बेटियां बाहर रहकर पढ़ाई व जॉब कर रही हैं।
खुर्शीद अंसारी 45 पति डॉक्टर एलआर अंसारी फिजिशियन 10 साल से कर रहीं हैं कोल ट्रेडिंग का काम
महाकोशल में अकेली महिला होने का तमगा, खतरनाक होने के बाद भी दंबगों से भिड़ गईं

2009-10 में बनाया विचार और शुरू किया काम
खुर्शीद अंसारी के अनुसार साल 2009-10 में छत्तीसगढ़ में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करने वाले उनके भांजे से कोई बिजनेस करने पर विचार कर रहीं थीं। चूंकि भांजा कोयले की लोडिंग अनलोडिंग करता था तो उसने कहा कि आप उप्र के ईंट भट्टों के लिए कोयले की ट्रेडिंग क्यों नहीं शुरु कर देती इसमें चैलेंज तो है लेकिन नाम के साथ काम भी बहुत अच्छा है। इसी बीच भांजे ने मुंबई में एक परिचित रिश्तेदार से संपर्क में बात कराई जिनका उत्तर प्रदेश बरेली के पास ईट का भट्टा चलता था। जहां लाखों की संख्या में ईंट बनती थी और उनमें पकाने के लिए पत्थर कोयले का इस्तेमाल किया जाता था। मुंबई के एक कारोबारी ने कुछ सैंपल के तौर पर कोयला मंगवाया जो कि छत्तीसगढ़ की छत्तीसगढ़ की खदानों से निकला था। सैंपल पास होते ही सबसे पहले उन्हें एडवांस में करीब-करीब पांच लाख रुपए अलग-अलग किस्तों में भेज दिए और माल भेजने के लिए आर्डर भी दे दिया।
कंपनी रजिस्टर्ड कराई
खुर्शीद अंसारी ने सबसे पहले एसके ट्रेडर्स के नाम से एक कंपनी बनाई। जिसे रजिस्टर्ड कराने के बाद बतौर एक भट्टे वाले को पार्टनर के तौर पर रख लिया। ताकि अनुभव के साथ साथ व्यापार में नुकसान की आशंका कम हो जाए। शुरुआती 2 साल के अंदर में ही बिजनेस चल पड़ा लेकिन दुश्मन भी बढ़ गए। लोग उनकी क्वालिटी व सर्विस जलने लगे और काम में अड़ंगा लगाने लगे।

गैंग बनाकर रोकने का किया प्रयास, बेटियों ने हौंसला दिया
खुर्शीद ने आगे बताया कि कुछ कोल ट्रेडर्स ने गैंग बनाकर उनके काम को रोकने का प्रयास भी किया। जिसमें ईंट भट्टे वाले भी शामिल थे। शुरुआती दौर में ही कुछ भट्टे वालों ने कोयले की क्वालिटी देखकर एडवांस दे दिया लेकिन जैसे ही आर्डर पूरा हुआ वह दबंगई के साथ में पेश आने लगे और पैसा दबा बैठे। जितना कमाया था लगभग पूरा 25 से 30 लाख के बीच में इन दबंग भट्टे वालों ने पैसा दवा लिया और खा गए। घाटे को देखकर पति ने मना किया कि यह हमारे लिए नहीं है किंतु बेटियों ने हौसला बढ़ाया कि मैं आप मां आप कर सकती हैं। क्योंकि डरने से सीढिय़ां चढकऱ ऊंचाई पर नहीं जाया जा सकता है। ऊंचाई पर जाना है तो इन समस्याओं के साथ-साथ खुद को बुलंदी के साथ खड़ा करना होगा।
जान से मारने की धमकी मिली
कुछ साल पहले जब काम बढ़ गया तब झारखंड की कोल माइन्स में ट्रेडिंग करने का विचार किया और वहां पर एक व्यापारी से इस संबंध में डील भी हुई। ई बैंकिंग के द्वारा पैसे भी भेज दिए गए। बाद में महिला जानकर उस व्यापारी ने अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ मुझे वहीं घेर लिया और डरा धमका कर लौट जाने को कहा। उनके गुर्गे सभी बंदूकधारी से उस समय थोड़ा सा डर लगा लेकिन मैंने हौसला दिखाते हुए उसके खिलाफ ही रिपोर्ट दर्ज करा दी। तब वह समझ गया कि डरने वाली नहीं है और उसने माफी मांग ली। इसके अलावा कई बार भी ट्रेडिंग में कुछ और सप्लायर्स द्वारा बरेली समेत अन्य जिलों में जहां-जहां मेरा माल जाता है वहां के व्यापारियों ने काम छोड़ देने या यहां सप्लाई बंद कर देने की धमकी भी दी। कई बार ड्राइवरों को उठाकर गाडिय़ां भी गायब कर दी मेरा हौसला नहीं लिखा और मैं आगे बढ़ती गई।
लॉकडाउन में रुका काम
लॉकडाउन से टूटा सिलसिला 15 तारीख को कुछ बड़े आर्डर मिले थे यूपी के भट्टों से जिनकी डिलीवरी उसी सप्ताह में होनी थी। किंतु लॉकडाउन लगने से गाडिय़ां बंद कर दी गई। जिससे लाखों रुपए का नुकसान तो हुआ लेकिन अब दोबारा काम शुरू होने जा रहा है। अगले सप्ताह से कोयले की सप्लाई फिर से शुरू हो जाएगी।
प्रदेश में दो या तीन महिलाएं
खुर्शीद अंसारी के अनुसार प्रदेश में रजिस्टर्ड कोल ट्रेडर्स की बात करें तो दो से तीन महिलाएं ही कोयले की ट्रेडिंग करती हैं। जिनमें उनके पति व परिवार के लोग पार्टनर या सहयोगी होते हैं। किंतु मैं स्वयं करती हूं, पति का इस बिजनेस में कोई हस्तक्षेप नहीं होता।
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