
जबलपुर. स्कूलों में शिक्षक नहीं, अध्ययन-अध्यापन प्रभावित हो रहा। इस कमी को समझते हुए शासन स्तर से तीन साल पहले शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया, साल भर बाद परीक्षा हुई लेकिन अब तक उसका रिजल्ट नहीं निकला। लिहाजा अभ्यर्थियों को अब तक इंतजार है परीक्षा परिणाम और Call letter का। प्रतिभागी नियुक्ति को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने को बाध्य हुए।
शुक्रवार को सूबे के सभी जिला मुख्यालयों पर चयनित शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से महीनों से अटकी भर्ती प्रक्रिया को दोबारा चालू करने की मांग की।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री योगेंद्र दुबे का आरोप है कि दिसंबर 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। प्रोफेशनल्स एग्जामिनेशन बोर्ड ने फरवरी 2019 से मार्च 2019 के बीच परीक्षाएं कराईं। शासकीय स्कूलों में उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षक के 31 हजार पदों के लिए परीक्षा हुई। इसमें उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों के करीब 17 हजार पद तथा माध्यमिक शिक्षकों के 5670 पद थे। इसके अलावा आदिम जाति कल्याण विभाग में इन्हीं उत्तीर्ण प्रतिभागियों में सफल प्रतिभागियों का चयन किया जाना है।
विभाग ने कोरोना संक्रमण के बीच जुलाई 2020 में सफल प्रतिभागियों से दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया प्रारंभ की लेकिन बाद में लोक परिवहन की सुविधा बंद होने का हवाला देते हुए इस प्रक्रिया को रोक दिया। तब से प्रतिभागी नियुक्ति प्रक्रिया को दोबारा प्रारंभ करने का इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारी संघ ने कहा कि लाकडाउन के बाद जब सब शुरू हो चुका है स्कूल खुलने लगे है तो फिर चयन प्रक्रिया को दोबारा शुरू क्यों नहीं किया जा रहा है। बेवजह चयनित प्रतिभागियों को क्यों परेशान किया जा रहा है।
अध्यापक प्रकोष्ठ के प्रांतीय संयोजक मुकेश सिंह ने कहा कि कई प्रतिभागी चयन प्रक्रिया के इंतजार में उम्र सीमा को पार कर रहे हैं। उन्हें डर है कि उम्र सीमा के दायरे से बाहर होने से पहले यदि प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो उनका आखिरी मौका भी बेकार हो जाएगा। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग को भर्ती प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण करना चाहिए।
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