
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि तीन माह के भीतर प्रदेश में हितग्राहियों के आयुष्मान कार्ड बनाने का काम पूरा किया जाए। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत सम्बद्ध प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों की जानकारी भी मांगी। अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी
शाजापुर के एक निजी अस्पताल में बिल नहीं चुका पाने के कारण अस्पताल संचालकों ने एक बुजुर्ग मरीज के हाथ-पैर पलंग से बांध दिए थे। इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में शुरू की है। इसी मामले में हाईकोर्ट द्वारा आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों के इलाज के मसले पर भी सुनवाई की जा रही है।
कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने आवेदन दायर कर कहा कि आयुष्मान भारत योजना के मप्र के सीईओ ने पत्र जारी किया है कि आयुष्मान भारत योजना वर्ष 2018 में शुरू हुई थी, लेकिन फरवरी 2020 तक आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत प्रदेश के 25 प्रतिशत हितग्राहियों का पंजीयन हो पाया था। इसके साथ ही पत्र में कहा गया है कि दिसंबर 2019 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 60 प्रतिशत सरकारी अस्पताल ही संबंद्द्ध हो पाए।
डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को तीन माह के भीतर आयुष्मान कार्ड बनाने का काम पूरा करने के निर्देश दिए है। आईएमए की ओर से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने तर्क दिया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों का पंजीयन नहीं हो पा रहा है।
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