शारंग की गर्जना से सेना को दिखी उसकी ताकत

जबलपुर। सेना को सुपुर्दगी के बाद शारंग तोप का पहली बार पूरी क्षमता के साथ परीक्षण किया गया। राजस्थान की महाजन रेंज में दो तोप से 38 से 40 किमी की दूरी तक गोले दागे गए। लगभग सभी राउंड लक्ष्य पर गिरे। अब सेना ज्यादा विश्वास के साथ देश की सीमा पर शारंग की तैनाती कर सकेगी। इन तोपों को वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) में तैयार किया गया है। इसलिए परीक्षण के दौरान फैक्ट्री की भी एक टीम मौजूद थी। 155 एमएम 45 कैलीबर शारंग तोप का निर्माण रूस की 130 एमएम एम-46 आर्टलरी गन का अपग्रेड वर्जन है। आयुध निर्माणी बोर्ड ने इसे स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है। अब यह प्रोजेक्ट पूरी तरह जबलपुर आधारित हो गया है। क्योंकि इसकी असेम्बलिंग देशभर में केवल जबलपुर में होती है। शुरुआत में प्रोजेक्ट गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) के पास था। अब बोर्ड ने इसे वीएफजे स्थानांतरित कर दिया है।

शारंग तोप के अपग्रेडेशन के बाद फैक्ट्री प्रशासन उसका परीक्षण जबलपुर स्थित लॉन्ग पू्रफ रेंज (एलपीआर) खमरिया में करता है। वीएफजे और जीसीएफ ने सेना को दो दर्जन से ज्यादा शारंग तोप सौंपी है। सूत्रों की मानें तो सीमा पर तैनाती से पहले सेना इनका पूरी क्षमता के साथ परीक्षण करना चाहती थी। इसलिए बीकानेर स्थित महाजन रेंज में परीक्षण किया गया। सेना नेे इस परीक्षण को 'रिलायबिलिटी फायरिंगÓ नाम दिया था। सभी परिणाम सकारात्मक बताए गए हैं। जानकारों के अनुसार सेना के पास 1968 से रूस में बनी 130 एमएम एम-46 आर्टलरी गन तोप है। इसकी उपयोगिता वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप नहीं होने के कारण सेना ने इसे अपग्रेड करने का काम आयुध निर्माणी बोर्ड को सौंपा है। ऐसी 300 तोप अपगे्रड होनी है। अपग्रेडेशन के बाद इसकी मारक क्षमता 27 किमी से बढ़कर करीब 40 किमी हो गई है। इसमें कई आधुनिक उपकरण भी लगाए गए हैं।



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