
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में पीएससी परीक्षा 2019 की प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट, परीक्षा नियम तथा आरक्षण अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टल गई। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार व पीएससी को जवाब पेश करने के लिए अंतिम अवसर दिया। अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।
अपाक्स सहित 6 अन्य की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया कि पीएससी परीक्षा के प्रारंभिक परिणामों में गलत तरीके से आरक्षण के प्रावधान लागू किए गए हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष पॉल, रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह ने तर्क दिया कि पीएससी परीक्षा के परिणाम में 40 प्रतिशत पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिए गए। 73 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस के लिए कर दिया गया है। इससे 113 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया गया है। पीएससी द्वारा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) की भी गलत व्याख्या की जा रही है। पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 में किए गए संशोधन को भी भूतलक्षी प्रभाव से लागू कर दिया है। गत सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीएससी की परीक्षा के परिणामों को याचिका के निर्णय के अधीन कर दिया था। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा व पीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह ने गुरुवार को जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने ने दोनों को जवाब पेश करने के लिए अंतिम अवसर दे दिया।
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