
जबलपुर। खुशबूदार फूलों की खेती के बाद जबलपुर में मधुमक्खी पालन भी शुरू हो गया है। पनागर के परियट में किसानों के एक समूह ने मधुमक्खी पालन की शुरुआत की है। शहद उत्पादन की मौजूद सम्भावनाओं को देखते हुए अब बड़ी संख्या में किसान मधुमक्खी पालन की तैयारी में हैं। जानकारों के अनुसार जिन इलाकों में जैविक खेती की जा रही है, उसके आसपास मधुमक्खी पालन की ज्यादा सम्भावना होती है।
पनागर से हुई मधुमक्खी पालन की शुरुआत, 50 और किसान तैयारी में
आत्मनिर्भर बनने की राह पर किसान, जबलपुर की शहद बनाएगी पहचान
रीवा में प्रशिक्षण लेकर की शुरुआत-किसान बब्लू यादव व बब्लू खान ने रीवा में प्रशिक्षण लेने व सभी तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद पनागर के परियट में मधुमक्खी पालन शुरू किया। इस समूह ने 20 हजार रुपए के निवेश के साथ चार बॉक्स से शुरुआत की है। एक बक्शे में पांच प्लेट होती हैं। एक से डेढ़ महीने में एक बक्शे से 5 लीटर शहद तैयार होती है। बाजार में 300 रुपए से लेकर 500 रुपए लीटर तक शहद की कीमत मिलती है।
50 किसानों का चयन हो चुका है
मधुमक्खी पालन को आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत शामिल किए जाने के बाद किसानों की इसमें रुचि बढ़ती जा रही है। उद्यानिकी विभाग ने अब तक पचास किसानों का चयन किया है। योजना के तहत उनका रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। मधुमक्खी पालन के लिए निवेश पर किसानों को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है।
वृहत स्तर पर होता है फू ल उत्पादन
जबलपुर के पनागर, कचनारी, बरगी, बगौड़ा इलाकों में वृहत स्तर पर फू ल का उत्पादन किया जाता है। गेंदा, इलाडिया, रजनीगंधा, सेवंती, नौरंगा, जरबेरा, गुड़हल के फू ल की खेती की जा रही है।
यह है स्थिति
500 हेक्टेयर में होती है फू लों की खेती
11 सौ के लगभग किसान करते हैं फू लों की खेती
01 किसान समूह ने शुरू किया है मधुमक्खी पालन
50 किसानों का मधुमक्खी पालन के लिए किया गया है पंजीयन
जिले में वृहद स्तर पर फू लों की खेती होती है। वन क्षेत्र भी है और सालभर खेतों में अलग-अलग फसल लगती हैं। ऐसे में मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल परिस्थिति हैं। इस व्यवसाय में न्यूनतम लागत पर अधिकतम आय की सम्भावना को देखते हुए किसान आगे आ रहे हैं। परियट में एक किसान समूह ने इसकी शुरुआत की है।
- एसके मिश्रा, वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी, पनागर
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