
जबलपुर। घर से संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुए नाबालिग बालक-बालिकाओं की तलाश के लिए शुरू किए ऑपरेशन मुस्कान के तहत 26 दिनों में 92 बच्चों की घर वापसी कराई। इसमें से कई बालिकाएं देश के विभिन्न राज्यों छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल में मिलीं। वर्षों बाद बालिकाएं अपने परिजन से मिलीं तो उनके मुरझाए चेहरे पर एक बार फिर मुस्कान लौट आई।
ऑपरेशन मुस्कान : पुलिस ने निराश परिजन के चेहरे पर लौटाई मुस्कान, 8 राज्यों में तलाशा
जानकारी के अनुसार छह जनवरी 2021 तक कुल 335 बच्चे लापता थे। ऑपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस ने 92 को तलाश कर उनके घर पहुंचाया। इनमें 15 बालक और 77 बालिकाएं शामिल हैं। इनकी तलाश के लिए पुलिस की टीमें हरियाणा, केरल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश समेत आठ प्रदेशों में गईं। यहां से इन्हें घर पहुंचाया गया।
ये हैं प्रमुख कारण
- परिजन से नाराजगी : पांच से 15 वर्ष तक की उम्र के बालक-बालिकाओं के घर से चले जाने का एक कारण परिजन की डांट है। पढ़ाई व अन्य कारणों से परिजन की डांट के कारण बच्चे बिना बताए घर से चले जाते हैं।
- बाल्यावस्था : हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए, जिनमें तीन से पांच वर्ष के बच्चे खेल-खेल में घर से दूर चले गए। ऐसे बच्चों को भी पुलिस ने तलाश कर उनके परिजनों के सुपुर्द किया।
- मानसिक बीमारी : मानसिक रूप से बीमार बालिग और नाबालिगों के घर से संदिग्ध परिस्थितियों में लापता होने के मामले अक्सर सामने आते हैं।
- प्रेम प्रसंग : प्रेम प्रसंग के कारण 15 से 18 साल के बालक-बालिकाएं और युवतियां परिजन को बताए बिना घर से चले जाते है। मामला नाबालिग से जुड़ा होने के कारण पुलिस ऐसे मामलों में प्रलोभन देकर अपहरण का प्रकरण दर्ज
करती है।
- कारण और भी : नाबालिग बालिकाओं को काम दिलाने के बहाने दूसरे राज्यों में वेश्यावृत्ति के धंधे में झोंक दिया जाता है, तो कई बार शादी के लिए उनकी खरीद-फरोख्त की जाती है। बालकों को मजदूरी व अन्य कामों में लगा दिया जाता है।
पुलिस लापता बालक-बालिकाओं की गम्भीरता से तलाश कर रही है। ऑपरेशन मुस्कान के तहत 92 बालक-बालिकाओं को तलाशा गया है। इनमें से कुछ बालक-बालिकाएं कई वर्षों से लापता थे।
- सिद्धार्थ बहुगुणा, पुलिस अधीक्षक
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