
जबलपुर। हाईकोर्ट में सोमवार को राज्य सरकार की ओर से डुमना एयरपोर्ट पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्गों को लेकर रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं ली जा सकी। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई में रिपोर्ट पर विचार करने का निर्देश दिया 16 फरवरी को आगामी सुनवाई तय की गई।
16 फरवरी को खोला जाएगा रिपोर्ट का लिफाफा
डुमना एयरपोर्ट तक वैकल्पिक सडक़ों के मसले पर सरकार ने पेश की रिपोर्ट
गंगानगर, जबलपुर निवासी निकिता खंपरिया की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डुमना एयरपोर्ट तक फोरलेन सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए हरे-भरे पेड़ काटे जा रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से डुमना जाने के लिए पांच वैकल्पिक मार्ग पेश किए गए। पहला मार्ग एम्पायर टॉकीज से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय होते हुए डुमना 12 किमी, दूसरा मार्ग एम्पायर टॉकीज से पेंटीनाका, गोराबाजार, भीटा होते हुए डुमना 16.3 किमी, तीसरा मार्ग एम्पायर टाकीज, चुंगीनाका, सतपुला, रांझी, खमरिया, पिपरिया होते हुए डुमना 16.10 किमी, चौथा मार्ग एम्पायर टॉकीज, चुंगी नाका, चुंगी नाका, रांझी, खमरिया, पिपरिया, उमरिया, अमझर घाटी, ककरतला होते हुए डुमना 30.5 किमी और पांचवां मार्ग एम्पायर टॉकीज से चुंगी नाका, रांझी, पुराना खमरिया थाने के पहले से डुमना 18.60 किमी है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि यह रिपोर्ट कई वजह से स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
छह जनवरी को हाईकोर्ट ने जबलपुर के डुमना के लिए पांच विभागों की समिति की ओर से वैकल्पिक मार्गों का प्रस्ताव तैयार किए जाने की व्यवस्था दी थी। इस समिति में जिला प्रशासन, वन विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी का एक-एक सदस्य शामिल करने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने पांच विभागों की समिति को इसका परीक्षण भी करने के लिए कहा था कि रादुविवि से डुमना तक बन रही सडक़ संरक्षित या रिजर्व फारेस्ट एरिया में आती है या नहीं?
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