
जबलपुर. कोरोना काल के लॉकडाउन में जब बच्चे घरों में कैद थे तो कई एजेसिंया ऐसी सामने आईं जो उन्हें घर बैठे ही एजुकेशन की नई-नई विधाएं सिखाने लगीं। इसी के तहत बच्चे कोडिंग सीखने लगे। कोडिंग सीख कर एप बनाने लगे। टीवी पर इसका प्रचार देख कर बच्चे और अभिभावक भी आकर्षित हुए और ज्यादा से ज्यादा घरों में इन ऑनलाइन क्लासेज से बच्चे जुड़े। ये बच्चे घर बैठे आधुनिक शिक्षा ग्रहण करने लगे हैं। ऐसे में अब जब स्कूल खुले तो वहां भी कई स्कूल प्रबधन ने अपने विद्यार्थियों के लिए यह विधा शुरू की। जबलपुर में भी ऐसे कई स्कूल हैं जहां बच्चे Coding सीख रहे हैं।
एक स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि कोडिंग को लेकर काफी ज्यादा चर्चाएं हो रही हैं, जिससे बच्चे और अभिभावक भी इसके लिए पूछताछ कर रहे हैं। स्कूल में हाल ही में कोडिंग कक्षा की शुरूआत की गई है। इसमें सबसे पहले डेमो क्लास आयोजित की गई। बच्चों की उम्र के हिसाब से पाठ्यक्रम और कोडिंग कक्षाएं शुरू की जा रही हैं। यह एक तरह से बच्चे को स्मार्ट बनाने की तैयारी है।
उन्होंने बताया कि इस तरह की कक्षाएं बच्चों के बेहतर भविष्य के लिहाज से अच्छी हैं। ये बेहतर कॅरियर के विकल्प देगा। छह साल का बच्चा भी कोडिंग कर सकता है। कोडिंग में न्यूनतम उम्र 6 साल रखी गई है। ऐसे में जिन बच्चों को डेमो क्लास पसंद आएगी, उनके अभिभावकों की अनुमति मिलने पर बच्चा कोडिंग कक्षा को जारी रख सकेगा। इसे लेकर बच्चे काफी उत्साहित हैं। इस कक्षा में एक्सपर्ट बच्चों को तरह-तरह के एप, वेब पेज और गेम के लिए की जाने वाली प्रोग्रामिंग सिखा रहे हैं। इन कोडिंग कक्षाओं को काफी पसंद किया जा रहा है।
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