
जबलपुर। ‘तेवर प्राचीन पुरातन नगरी है। आसपास के कई किमी इलाके में खेतों में भी पुरासम्पदा निकलती है। इनको संजोकर रखने के लिए त्रिपुरसुंदरी मंदिर के समीप पुरातत्व संग्रहालय बनाया जाएगा। ये सौगात केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने शनिवार को दी। उन्होंने त्रिपुरसुंदरी मंदिर के समीप पुरासम्पदा की तलाश के लिए उत्खनन शुरू करने के लिए भूमिपूजन कर शुरुआत की। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने पूजन के बाद कुदारी भी चलाई। इस अवसर पर केंद्रीय पुरातत्व विभाग की टीम ने स्थल पर वे सभी औजार भी प्रदर्शित किए।
केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने भूमिपूजन के साथ की शुरुआत
त्रिपुरसुंदरी मंदिर के पास बनेगा पुरातत्व संग्रहालय
पुरातात्विक महत्व की नगर
इतिहासकारों के अनुसार वर्तमान में तेवर के नाम से पहचाना जाने वाला क्षेत्र कल्चुरी काल का त्रिपुरी है। त्रिपुरी पांच हिस्सों में बंटा था। इस क्षेत्र में कल्चुरी काल के अवशेष लगातार मिलते हैं। इस काल की वास्तुकला भी अद्वितीय है। 11वीं सदी में बसाए गए इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुरातात्विक अवशेष बिखरे हैं। पुरातत्वविद् व इतिहासकार राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि त्रिपुरी में विशेष रूप से रामसेरिया, कारी सुरई, नरिया की टौरी, हथियागढ़ का टीला, करनबेल शामिल थे। करनबेल की पहाडिय़ों पर राजा लक्षमी कण ने कर्णावती नगरी बसाई थी। इसी कल्चुरीकाल के त्रिपुरी क्षेत्र में हथियागढ़ के टीले पर पंचमुखी प्रतिमा माता त्रिपुरसुंदरी भी स्थापित हैं।

जबलपुर को मिलेगी अलग पहचान
केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा कि त्रिपुरी कलचुरी साम्राज्य की राजधानी रही है। इसके साक्ष्यों को लेकर इतिहासकारों में मतभेद नहीं है। पुरातत्व विभाग की खुदाई के बाद जब चीजें सामने आएंगी तो वह अध्ययन का विषय तो होगा ही जबलपुर को एक नई पहचान भी देगा। युवाओं के अध्ययन व शोध के लिए भी यहां फिजिकल कैम्प आयोजित होंगे। केंद्रीय मंत्री ने अगस्त 2020 में जबलपुर में सर्किल कार्यालय के निर्माण को स्वीकृति दी थी। इस अवसर पर जबलपुर सर्किल के अधीक्षक सुजीत नयन, आइजीएनसी के बोर्ड सदस्य आलोक जैन, रवींद्र वाजपेयी, राघवेंद्र सिंह पटेल, सुभाष भाटिया, भाजपा नेता शिव पटैल, भेड़ााघाट मंडल अध्यक्ष धीरज पटेल, नीरज सिंह मौजूद थे।
त्रिपुरी में बनेगा सेंटर
केंद्रीय मंत्री ने कहा की तेवर स्थित त्रिपुरी में ही इंटरप्रीटेशन सेंटर निर्माण करने के निर्देश दिए। इंटरप्रीटेशन सेंटर में क्षेत्र में खेतों में व ग्रामीण निवासियों के घरों में मौजूद पुरातत्व धरोहरों को लाकर सुरक्षित संरक्षित करने का कार्य भी किया जाएगा।

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