
यह है स्थिति
-195 स्कूल
-99 हायरसेकेंडरी
-96 हाई स्कूल
-50,000 छात्र
यह है स्थिति
-75 स्कूलों में लैब
-20 स्कूलों में दोहरी लैब
-100 स्कूलों में यूनीफाइड लैब
-60 स्कूलों में खुद की लैब नहीं
जबलपुर। स्कूलों में न तो लैब अपडेट है न ही लैब अटेंडेंट हैं। जबलपुर में शिक्षकों के भरोसे और पुराने उपकरणों, कैमिकल के सहारे प्रैक्टिकल परीक्षाएं होंगी। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल बंद रहे। जिम्मेदारों ने स्कूलों में लैब की तरफ ध्यान दिया न ही उपकरणों, रसायनों की खरीदी हुई। ऐसे में अब प्रैक्टिकल परीक्षाएं पुराने टूटे-फूटे उपकरणों और पुराने केमिकल के भरोसे होंगी। इस स्थिति में ना तो सही केमिकल रिएक्शन होगा न ही किसी रसायन की अम्ललीयता, क्षारीयता की सटीक जानकारी मिलेगी। प्रैक्टिकल तो होंगे लेकिन इस बार केवल औपचारिकता ही निभाई जाएगी। एक माह बाद हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी की प्रैक्टिकल परीक्षाएं होंगी।
ज्यादातर स्कूलों में प्रैक्टिकल समाग्रियों को अलामारी में सालभर तक बंद रखा जाता है। परीक्षा के दौरान ही इनके ताले खुलते हैं। परीक्षा के दौरान समाग्री को निकालकर टैबल में प्रैक्टिकल कार्य करते हैं। इसके कारण ठीक वे समझ भी नहीं पाते हैं। शासकीय मॉडल स्कूल, उमावि अधारताल, कन्या रानी दुर्गावती, महरानी लक्ष्मी बाई कन्या उमावि, उत्कृष्ट सिहोरा जैसे कुछ ही बड़े स्कूलों में पृथक लैब और व्यवस्थाएं हैं। 90 फीसदी स्कूलों में लैब असिस्टेंट के पद खाली हैं। लंंबे अर्से से भर्ती नहीं हुई है। ऐसे में विषय शिक्षकों को दोहरी माल झेलनी पड़ती है। जिससे कई बार दुर्घटना का अंदेशा भी बना रहता है।
हो जाते हैं एक्सपायर
अमोनिया बायोलाईट अम्लीय मूलक और क्षारीय मूलक का परीक्षण करने में उपयोग होता है। अमोनियम कार्बोनेट, बोरियम, हाइड्रोजन सल्फाइड, सलफ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड के अलावा कॉपर कार्बोनेट, सोडियम, कॉपर कार्बोनेट, क्लोरीन, पोटाश, जैसे रसायन ठंड, हवा, गर्मी आदि कारणों के चलते एक साल में एक्सपायर हो जाते हैं। गैस एपरेटस, बर्नर, स्टॉप वॉच, परखनली होल्डर, कोनिकल फ्लास्क, रजिस्टेंस बॉक्स, वॉच ग्लास, वूल्फ बोतल, पेट्री डिश, मीटर सेतु, वर्नियर कैलीपर्स, मैग्निेटिक रॉड, जेनर डायोड जैसे उपकरणों की कमी है।
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