
जबलपुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जबलपुर में उपचार के लिए आने वाले गम्भीर मरीजों की परेशानी वहां की अव्यवस्था और बढ़ा रही है। अस्पताल में प्रारम्भिक जांच के बाद ही सबसे पहले मरीज को वार्ड या दूसरे अस्पताल बिल्ंिडग तक ले जाने के लिए वार्ड ब्वॉय ढूंढऩा पड़ता है। हालात ये है कि कैजुअल्टी से यदि मरीज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रेफर किया गया है, तो उसका स्ट्रेचर परिजन को ही खींचना पड़ेगा। पुराने अस्पताल से सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल तक सड़क पर स्ट्रेचर खींचते परिजनों का दृश्य आम हो गया है। अस्पताल आने वाले ज्यादातर लोगों की शिकायत है कि उन्हें मरीज का स्ट्रेचर स्वंय धकेलना पड़ता है। इससे गम्भीर मरीजों का दर्द अस्पताल में प्रवेश के साथ और बढ़ जाता है। अस्पताल में स्ट्रेचर घसीटने के लिए वार्ड ब्वॉय की नियमित ड्यूटी लगती है। मरीजों की संख्या बढऩे पर निजी कम्पनी से आउट सोर्स पर वार्ड ब्वॉय लिए गए है। इसके बावजूद ज्यादातर मरीजों की शिकायत है कि उन्हें मरीज को शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर के साथ वार्ड ब्वॉय नहीं मिलते। कई बार आउटसोर्स के वार्ड ब्वॉय बुलाने पर भी नहीं आते। ऐसे में परिजन ही स्ट्रेचर घसीटने के लिए मजबूर हो रहे है।
अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले ग्रामीण एवं कमजोर वर्ग के लोगों के साथ कर्मी बुरा बर्ताव करते हैं। गांव से आए कुछ मरीजों के परिजन ने बताया कि उनके मरीज को सुपर स्पेशलिटी ले जाने कहा गया। स्टे्रचर दिखाते हुए बता दिया गया कि इस पर ले जाओ। कोई वार्ड ब्वॉय नहीं होने से मरीज के साथ आई महिला को स्ट्रेचर में धक्का लगाना पड़ रहा है। इससे केयर टेकर का भी दम फूल रहा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेश तिवारी के अनुसार कैजुअल्टी में चौबीस घंटे वार्ड ब्वॉय की ड्यूटी रहती है। परिजन को किस परिस्थिति में स्ट्रेचर घसीटने की आवश्यकता पड़ रही है इसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई करेंगे।
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