नर्मदा कछार की हरी मिर्ची का तड़का गंगा किनारे तक लग रहा

सब्जी की खेती जबलपुर जिले में
-6 हजार हेक्टेयर रकबा
-12 हजार से ज्यादा किसान
-3 हजार हेक्टेयर में नर्मदा कछार किनारे का रकबा
-2 हजार हेक्टेयर में टमाटर, बैगन, मिर्च
-4 हजार हेक्टेयर में अन्य हरी सब्जी
-28 हजार हेक्टेयर में हरा मटर

हेक्टेयर में उत्पादन
-700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में टमाटर
-650 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में बैगन
-700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर में मिर्च

जबलपुर। नर्मदा कछार, जबलपुर में उपजी हरी मिर्च गंगा किनारे बसे प्रयागराज से लेकर नागपुर, सूरत तक रसोई का स्वाद बढ़ा रही है। उपजाऊ जमीन में ड्रिप इरीगेशन व मल्चिंग की तकनीक के जरिए जैविक खेती कर उगाई गई स्वादिष्ट हरी सब्जियों की जबलपुर की मंडी से लेकर दूसरे राज्यों में भी खासी मांग है। मिर्च के साथ ही यहां 1 किलो तक के वजन के भर्ता वाले भटे और टमाटरों का सबसे ज्यादा उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही पॉलीहाउस बनाकर शिमला मिर्च भी उगाई जा रही है। हरा मटर, पत्ता गोभी, फू ल गोभी, चुकं दर, धनिया और भाजियों का भी भरपूर उत्पादन हो रहा है। जबलपुर और शहपुरा ब्लॉक में नर्मदा का 60 किलोमीटर लंबा कछार है। खिरहनी से लेकर ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटा, भेड़ाघाट, गौ बच्छाघाट, रामघाट, बिजना, मगरमुंहा, छपरा, मालकछार, झांसीघाट, जलौन, गोकला क्षेत्र में वृहद स्तर पर सब्जी का उत्पादन हो रहा है।
आर्गेनिक खेती पर फोकस
सब्जी के उत्पादन में युवा किसान आगे आ रहे हैं। वे आर्गेनिक खेती पर फोकस कर रहे हैं। ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई के साथ ही पौधों तक खाद व दवा भी पहुंचाई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार पहले से प्राकृतिक खाद होने के कारण यहां उपजी सब्जी ज्यादा स्वादिष्ट है। पॉलीथिन लगाकर मर्चिंग के माध्यम से खेती करने पर निंदाई का पैसा भी बच रहा है, इसके साथ ही नमी बनी रहती है। नर्मदा कछार के किसान लगातार नवाचार कर रहे हैं। रामघाट के ओमप्रकाश, किशोरी मल्लाह, पड़वार में प्रदीप पटेल, बरगी में मुदित तिवारी ड्रिप इरीगेशन से मल्चिंग कर रहे हैं। पनागर के सचिन गर्ग पॉली हाउस बनाकर खेती कर रहे हैं। युवा किसान अमित शर्मा कुं डम में 30 एकड़ में मिर्च की खेती कर रहे हैं। मालकछार में सुखदेव, विशाल सिंह बगैर रासायनिक खाद का उपयोग किए बैगन, टमाटर, गिलकी की खेती कर रहे हैं। गोकुला बेलखेड़ा में दिनेश सिंह तूफान मल्चिंग करके मिर्च की खेती कर रहे हैं। इससे खरपतवार नियंत्र व जल संरक्षण भी हो रहा है। इनमें से ज्यादातर किसान युवा हैं जिन्होंने नौकरी की जगह खेती को अपने कॅरियर के रूप में चुना है। मिर्च की खेती करने वाले किसान अमित ने बताया की वे बड़ी कं पनियों से फसल लगाने से लेकर उसकी समय पर देखभाल करने और उपज की खरीदी व उसे मंडी तक पहुंचाने के लिए कान्ट्रेक्ट करते हैं। इससे नुकसान की गुंजाइश कम रहती है।



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