
जबलपुर। वर्ष-2020 कोरोना संकट के बीच तमाम आपदाओं का सामना करते हुए बीता। ऐसा लगा सब कुछ उलट-पलट गया। लोग घरों में कैद थे। अपनों से भी दूरी बनाने को मजबूर हो गए। हर किसी ने अनजाना-अनसमझा-अनबूझा दर्द झेला। इन हालातों में विकास कार्य तो बहुत पीछे छूट गए। कई प्रोजेक्ट अधूरे रह गए। सिर्फ दिनचर्या को पटरी पर रखने की कवायद हुई। ऐसे में 2021 उम्मीदों का नया सवेरा लेकर आ रहा है। देश-दुनिया के साथ अपने शहर को भी नए साल से खुशनुमा सबह का इंतजार है। आम से लेकर खास शहरी तक ने बीते साल के कटु अनुभवों से बहुत कुछ सीखा है। कोरोना ने सामाजिक ताने-बाने की तमाम परम्परागत परिभाषाओं को बदला है।
अब आम शहरी-समाज-प्रशासन सभी को नई शुरुआत करनी होगी। इसके लिए हर कोई तैयार भी दिख रहा है। प्रशासन की कोशिश होगी कि स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर इस बार अव्वल आए। रोजगार की ओर बढ़ते कदमों को एग्रो पार्क चार चांद लगा सकता है। मेडिकल कॉलेज को पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट की सौगात मिल सकती है। जिला प्रशासन कोशिश करेगा कि कोरोना का कहर अब दोबार अटैक नहीं कर पाए। लोग भी उसकी कोशिशों के साथ खड़े नजर आएंगे। पुलिस बीती बातों को भूलकर अपराधों पर नियंत्रण की नई पहल कर रही है।
उम्मीद की जा रही है कि अपराधियों के मन में खौफ आएगा। पूरा शहर नई खुशनुमा सुबह के इंतजार में है। संस्कारों की नगरी, नर्मदा किनारे के इस खूबसूरत शहर में स्वागत है एक नई शुरुआत का। आम लोगों का मानना है कि बीते साल कोरोना के नाम पर कुछ मनमानियां भी हुईं। नए साल में यह सोचना होगा कि आखिर आम लोगों ने अपनी जिम्मेदारी कितनी समझी? पुलिस और प्रशासन ने आखिर कितने सही ढंग से ड्यूटी निभाई। इसी से आने वाले साल में गलतियां कम करने की सीख मिलेगी।
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