
जबलपुर। 'हम भले ही विदेशों में रहते हैं, लेकिन शहर की यादें और भारतीय संस्कृति को नहीं भूले हैं। शहर की गलियां और प्राकृतिक स्थलों पर बिताए पल भी हर समय याद आते हैं। जब भी मौका मिलता है तो अपनों से मिलने और शहर की यादें ताजा करने घर आ जाते हैं।Ó यह कहना है जबलपुर शहर में रहकर शिक्षा प्राप्त करने और विदेशों में संस्कारधानी का नाम रोशन करने वालों का।
पैरासाइकोलॉजी के रहे हेड
जबलपुर के वेटरनरी कॉलेज में पैरासाइकोलॉजी के हेड रहे डॉ. जेपी दुबे वर्तमान में अमेरिका में रह रहे हैं। वे यूनाइटेड स्टेट ऑफ एग्रीकल्चर में वैज्ञानिक भी रह चुके हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के लिए भी कई बार शैक्षिक रूप से सहयोग करने के साथ समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया। प्रो. दुबे को एक साल पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते वे नहीं आ सके थे, लेकिन अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की थीं।
आती है शहर की याद
स्टीफन ओ मैथ्यू का शहर से गहरा नाता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे जॉब के सिलसिले में अमेरिका चले गए। वे क्लीनिकल रिसर्च मैनेजमेंट हेल्थ साइंस सेंटर में वैज्ञानिक हैं। उनके माता-पिता एम उमाचंद और लीसी उमाचंद जबलपुर में प्रोफ़ेसर थे। पिता रादुविवि में बायोलॉजिकल साइंस विभाग में प्रोफ़ेसर रहे तो वही मां साइंस कॉलेज में जूलॉजी डिपार्टमेंट की हेड थीं। स्टीफन बताते हैं कि आज भी उनके जेहन में शहर की यादें ताजा हैं। समय मिलने पर वे शहर आते हैं।
सफल उद्यमी
वर्तमान में यूएई में रह रहे डॉ. रवि दुबे कृषि विश्वविद्यालय के छात्र और एलुमिनाई भी रह चुके हैं। कनेक्टिंग फूड विद टेक्नोलॉजी के बैनर तले टेक्नो कमर्शियल इंटरप्राइजेज फनार अल खलीज की स्थापना की, जो वैश्विक उद्यम बन गया है। सैकड़ों लोगों को रोजगार भी दे रहा है। डॉ. दुबे अपने फाउंडेशन के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा में भी सहयोग कर रहे हैं। एक सफल उद्यमी, बौद्धिक, समाजसेवी होने के नाते कृषि विवि ने उन्हें जवाहर रत्न से सम्मानित किया है।
दिल में बसा है कॉलेज
फ्लोरिडा में रह रहे डॉ. प्रेम एस. चौरे इंस्टीट्यूट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर साइंस यूनिवर्सिटी में रिसर्चर हैं। उन्होंने मॉलीक्यूल ऑफ साइकोलॉजिकल जेनेटिक्स पर काम किया। उन्हें 1996 में रिसर्च साइंटिस्ट अवार्ड से नवाजा गया। वे कृषि विवि के भी छात्र रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि पर कृषि विवि की ओर से उन्हें जवाहर रत्न से सम्मानित किया गया है। विदेश में रहने के बाद भी उन्हें कॉलेज की याद आती है।
न्यूयॉर्क में प्रोफेसर
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डीलिट् की उपाधि प्राप्त करने वाले डॉ. विष्णु मेश्राम न्यूयॉर्क में एक इंस्टीट्यूट में प्रोफसर हैं। यहीं रहते हुए नागरिकता भी प्राप्त कर ली। लेकिन आज भी उनका दिल शहर के लिए धड़कता है। उन्होंने जम्मू कश्मीर विषय पर अंतरराष्ट्र्रीय चेतना जगाने का काम किया। अपने लेखों के जरिए कोविड संक्रमण से बचाव और दुष्प्रभाव को बताया।
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