
जबलपुर. डॉक्टर बनने का सपना रखने वाली एक मेधावी दिव्यांग छात्रा की याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी किया है। नोटिस का जवाब देने के लिए कोर्ट ने 10 दिन का वक्त दिया है। होशंगाबाद जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली मेधावी दिव्यांग छात्रा ने डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने से रोके जाने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।
मेधावी दिव्यांग छात्रा ने लगाई याचिका
होशंगाबाद जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली एक मेधावी दिव्यांग छात्रा ने पहले ही प्रयास में नीट की परीक्षा पास की थी और इसके बाद उसे शहडोल के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट अलॉट हुई थी लेकिन जब छात्रा एडमीशन लेने के लिए पहुंची तो उसे इसलिए एडमीशन नहीं मिला क्योंकि वो 65 फीसदी दिव्यांग है। छात्रा का एक हाथ नहीं है जिसके कारण मेडिकल छात्रों को सूटेबिलटी सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्था ने उसे एमबीबीएस (MBBS) में प्रवेश देने से मना कर दिया। इसके बाद छात्रा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन से 10 दिनों के अंदर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जनवरी की तारीख दी गई है।
याचिका में दिव्यांग छात्रा ने दिए ये तर्क
मेधावी दिव्यांग छात्रा की तरफ से हाईकोर्ट में जो याचिका लगाई गई है उसमें कहा गया है कि उसने डॉक्टर बनने के लिए काफी मेहनत की थी और अब जब उसका चयन डॉक्टर बनने के लिए भी हो गया है तो उसे ये दिव्यांग बताकर एडमीशन नहीं दिया जा रहा है। जबकि आज के दौर में आर्टिफिशियल लिंब लगाया जा सकता है और ऐसे में उसे डॉक्टर बनने से रोका जाना कितना उचित है।
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