World Soil Day 2020: बंजर होती धरती को बचाने के लिए जरूरी है मिट्टी की जांच

जबलपुर. World Soil Day, (विश्व मृदा दिवस) बंजर होती धरती को बचाने का दिन है। वैसे तो इसके लिए कोई खास दिन होना पर्याप्त नहीं है, अगर धरती की उत्पादकता को कायम रखना है तो लगातार मिट्टी की जांच कराते रहना चाहिए। जांच से यह पता चल जाता है कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है फिर उसे दूर कर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। इसी उद्देश्य से 2013 में विश्व मृदा दिवस मनाने का निर्णय किया गया और इसके लिए दिसंबर का महीना चुना गया।

संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का ऐलान किया है। इसे मनाने का उद्देश्य किसानों व आम लोगों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने 20 दिसंबर, 2013 को हर वर्ष 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का निर्णय लिया। खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार इस वर्ष (2020) के लिए विश्व मृदा दिवस की थीम है- मिट्टी को जीवित रखें, मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करें।

जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान व कृषि रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एके द्विवेदी का कहना है कि यदि किसी भी तरह की फसल की उत्पादकता को बढ़ाना है तो मिट्टी की जांच कराना बेहद जरूरी है। जांच से पता चलता है कि मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है। फिर उसके अनुसार मिट्टी में वह पोषक तत्व मिलाया जाता है। ऐसा करने पर मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है। जो लोग स्वॉइल टेस्ट नहीं करवाते वहां मिट्टी की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है। मृदा परीक्षण के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क किया जा सकता है। वैसे काली मिट्टी को संतुलित बनाने के लिए गोबर की खाद उपयुक्त विकल्प है, जिसे मिट्टी में मिलाकर मिट्टी को गुणवत्ता युक्त बनाया जा सकता है।

तेजी से बढ़ती जनसंख्या के भरण पोषण के लिए अधिक फसल उत्पादन जरूरी है और इसके लिए अंधाधुंध असंतुलित रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है जिससे मृदा के जैविक गुणों में कमी आ रही है। इससे मृदा की उपजाऊ क्षमता में कमी के साथ ही मृदा प्रदूषित भी हो रही है।

इसलिए जरूरी है मृदा परीक्षण
- वर्तमान में दुनिया की मृदा का लगभग 33 प्रतिशत भाग बंजर या निम्नीकृत हो चुका है
- मानव के भोजन के 95 प्रतिशत भाग मिट्टी से ही होता है
- मिट्टी में रहने वाले जीव कार्बन को स्टोर करने में मदद करते हैं
- हर साल पृथ्वी की मिट्टी का लगभग 50 प्रतिशत केंचुओं की आंतों से होकर गुजरता है।



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