glamorous career: फैशन इंजीनियरिंग में बनाएं कैरियर, मिलेगा पैसा और ग्लेमर

जबलपुर। फैशन डिजाइनिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो अक्सर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। एक बेहतरीन फैशन डिजाइनर कपड़ों की डिजाइनिंग से लेकर उनकी स्टिचिंग और उससे जुड़े कामों को करता है। इन दिनों डिजाइनिंग के अलावा फैशन इंजीनियरिंग का क्षेत्र काफी ट्रेंड में है, जो युवा लड़कियों को ही नहीं बल्कि लडक़ों को भी आकर्षित कर रहा है।

इस फील्ड में कपड़ों को डिजाइन करने के अलावा इसकी प्रूफिंग और फिनिशिंग का कार्य भी होता है।

डिजाइनिंग में टेक्नोलॉजी की मदद
फैशन टेक्नोलॉजी में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) करने के लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास होना है। फैशन टेक्नोलॉजी एक ऐसी कला है जिसमें कपड़े और एक्सेसरी को प्राकृतिक तरीके से टेक्नोलॉजी के प्रयोग से डिजाइन करना होता है। इसमें डिजाइन, कॉन्सेप्ट मैनेजमेंट, डिजाइन प्रोडक्शन मैनेजमेंट, क्वालिटी कंट्रोल, प्लानिंग, फैब्रिक डिजाइन, प्रिंटिंग, फैशन एक्सेसरी डिजाइन, फैशन मर्केंटाइजिंग, टेक्सटाइल साइंस, कलर मिक्सिंग व मार्केटिंग आदि क्षेत्रों के बारे में जाना जाता है।

 

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जानें जरूरी योग्यता
कैंडिडेट को कला और टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी होना अनिवार्य है। इसके अलावा 50 प्रतिशत अंकों के साथ कक्षा 12वीं और समकक्ष योग्यता प्राप्त होना जरूरी है। उम्मीदवार को विभिन्न संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाले एप्टीट्यूड टेस्ट से गुजरना पड़ता है।

कोर्स से जुड़ा सिलेबस
विभिन्न यूनिवर्सिटी और संस्थानों में कई तरह के सब्जेक्ट संचालित होते हैं। इसमें डिजाइन कॉन्सेप्ट के अलावा पैटर्न मेकिंग एंड कंस्ट्रक्शन, टेक्सटाइल क्राफ्ट, फैब्रिक मैन्युफैक्चरिंग, गार्मेंट मशीनरी, ड्रेपिंग एंड ग्रेडिंग, अपेरल प्रोडक्शन एंड क्वालिटी कंट्रोल, लाइन डेवलपमेंट, होम टैक्सटाइल आदि विषय शामिल हैं।

फैशन इंजीनियरिंग में कॅरियर
फैशन फील्ड में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद कैंडिडेट कई बड़े संस्थानों और कंपनियों में अपना कॅरियर बना सकते हैं। फैशन मीडिया, टेक्सटाइल मिल, ज्वैलरी हाउस, एक्सपोर्ट हाउस, गार्मेंट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, लैदर कंपनियों में फैशन इंजीनियरिंग डिग्री धारकों की बेहद डिमांड होती है। यहां पर उन्हें कटिंग असिस्टेंट, ग्राफिक डिजाइनर, प्रोडक्शन पैटर्न मेकर, फैब्रिक क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर, टेक्निकल डिजाइनर जैसे विभिन्न पदों पर नौकरी मिल सकती है।

डिजाइनिंग व इंजीनियरिंग में है अंतर
फैशन डिजाइनिंग के तहत जहां फैब्रिक को डिजाइन करने के साथ ही इसके लिए सिलाई की बारीकियों को समझा जाता है। वहीं फैशन इंजीनियरिंग में डिजाइनिंग से पहले फैब्रिक की प्रूफिंग, फिनिशिंग, थ्रेड प्रोडक्शन, इफैक्ट्स आदि को ध्यान में रखते हुए कपड़ा डिजाइन होने के बाद इसके लिए कलर मिक्सिंग पर काम किया जाता है। ड्रेस के ट्रायल के लिए डमी (मैनेक्विन) की शेप व साइज पर भी काम होता है।



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