सुरसा की तरह निगल जाने को तैयार यहां के गड्ढे सिस्टम से पूछ रहे हैं सुलगते सवाल

जबलपुर। सीवर के गड्ढे में गिरे बाइक सवारों की जान बच गई। घायल हुए तो हुए, उसे भला पूछता कौन है? जिम्मेदार विभाग के अफसर कहेंगे देखकर बाइक चलानी चाहिए थी। लेकिन, यह नहीं बताएंगे कि व्यस्त सड़क पर काम की रफ्तार इतनी सुस्त क्यों है? महीनों से इतना बड़ा गड्ढा बीच सड़क खुला छोड़ दिया गया। लेकिन, सूचना पटल नहीं लगाया गया। आसपास स्टॉपर तक नहीं रखे गए। बात सिर्फ इसी मार्ग की नहीं है। सवाल सिर्फ गड्ढे में बाइक गिरने का भी नहीं है। सरकारी सिस्टम से सुलगता सवाल यह है कि पूरे शहर में निर्माण कार्यों की सुस्त चाल क्यों है? कहीं आधा निर्माण करके छोड़ दिया गया। कहीं गड्ढों में मिट्टी भर दी गई। सीवर के गड्ढे, तो शहर भर में सुरसा की तरह मुंह बाए खड़े हैं। इसके बाद भी निगम आयुक्त को तब होश आता है, जब हादसा हो जाता है। अफसरों की अनदेखी से ठेकेदार की लापरवाही जानलेवा हो जाए, तो जनप्रतिनिधियों को जागना पड़ता है। लोगे तो गुस्से में हैं। शायद जनप्रतिनिधियों को भी गुस्सा आ जाए?
हादसे के बाद आया होश, फिर भी ठेकेदार को सिर्फ नोटिस देने का दिया आश्वासन

मदन महल-गंगा सागर मार्ग पर आमनपुर में नगर निगम की सीवर लाइन के गहरे गड्ढे में बाइक गिरने के बाद आखिरकार निगम आयुक्त को याद आया कि वह गड्ढा जानलेवा है। उन्होंने कहा कि ठेकेदार को नोटिस दिया जाएगा। जबकि, आमनपुर में आठ महीने पहले सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था। तब से लेकर अब तक सड़क के बीचोंबीच गड्ढा छोड़ दिया गया है। भाजपा नेता जमा खान ने इस मामले में निगम प्रशासन के लापरवाह रवैये पर सवाल उठाया है कि आठ महीने में एक स्पॉट पर सीवर का काम पूरा नहीं होना लापरवाही का नतीजा है।
बाइक सहित सीवर लाइन में गिरे
जबलपुर के मदन महल से आमनपुर रोड पर बीते आठ माह से चल रहा सीवर लाइन का काम हादसे का कारण बनता जा रहा है। रविवार रात 11.30 बजे आमनपुर रोड पर बने सीवर के गड्ढे में बाइक सहित दो लोग गिर गए। लगभग आठ फीट गहरे गड्ढे में तीन से चार फिट तक पानी भरा था। बाइक सहित गिरने के बाद दोनों के सिर ही दिख रहे थे। उनकी आवाज वहां से गुजर रहे भाजपा नेता जमा खान ने सुनी। उन्होंने क्षेत्र में रहने वाले अपने साथी प्रशांत दुबे को बुलाया, जो रस्सा लेकर आए और लोगों को एकत्र किया। सबने गड्ढे में गिरे लोगों को सकुशल निकाला। इसके बाद लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद बाइक निकाली जा सकी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सीवर के लिए यह गड्ढा लगभग एक माह से करके छोड़ दिया गया है। इसके पास सुरक्षा सम्बंधी संकेतक भी नहीं है।



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