
जबलपुर। नर्मदा बेसिन की उर्वरा धरा में उपजा स्वादिष्ट हरा मटर देशभर में पुलाव और विभिन्न सब्ज्यिों का स्वाद बढ़ा रहा है। मटर की बोवनी के लिए शहपुरा, पाटन, सिहोरा और मझौली के किसान बारिश के दौरान खेतों को खाली रखते हैं। खेत से मंडी तक उपज पहुंचाने के लिए किसान खुद ही वाहनों का इंतजाम करते हैं। बड़े किसान स्वयं के वाहनों से फसल को उपज मंडी ले जाते हैं। कुछ किसान दुपहिया वाहनों से उपज क्षेत्रीय सब्जी मंडियों में पहुंचाते हैं। जबलपुर मटर का बड़ा उत्पादक है। शहपुरा और पाटन में अलग से मंडी नहीं बनाई जा सकी है। मटर की आवक शुरू होने पर सहजपुर में निजी खेतों में अस्थायी मंडी बनाई जाती है। अस्थायी मंडी में मटर बेचने के एवज में किसानों को 5 प्रतिशत कमीशन भी देना पड़ता है। सरकारी कर्मचारी यहां केवल मंडी शुल्क वसूलने आते हैं।
प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड स्टोरेज की दरकार
सीजन की शुरुआत में मटर के अच्छे दाम मिल जाते हैं। पर्याप्त संख्या में प्रोसेसिंग यूनिट और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था होने से मटर को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। फसल का सीजन समाप्त होने पर फ्रोजन मटर की किसानों को अच्छी कीमत मिल सकती है।

महज दो प्रोसेसिंग यूनिट हैं
जिले के पास घुंसौर और भेड़ाघाट में मटर की दो प्रोसेसिंग यूनिट हैं। दोनों यूनिट में एक-एक हजार क्विंटल मटर खरीदा जाता है। मटर को छीलकर कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। यहां से सालभर यह मटर बाजार में बिकता है।
किसानों को मटर बेचने के लिए जबलपुर मंडी या सहजपुर की अस्थायी मंडी जाना पड़ता है। यदि शहपुरा के आसपास स्थायी मंडी बन जाए तो भाड़े के साथ समय भी बचेगा। लागत कम होने से
आय बढ़ेगी।
- रामेश्वर सती, मटर उत्पादक किसान, बेलखेड़ा
शहपुरा और पाटन मटर के बड़े उत्पादक क्षेत्र हैं। मुम्बई, पुणे, नागपुर, सूरत, हैदराबाद, रायपुर समेत देश की अन्य मंडियों में यहां का मटर भेजा जाता है। प्रोसेसिंग यूनिट और कोल्ड स्टोरेज स्थापित होने से किसानों को ज्यादा लाभ होगा।
- प्रसन्न पटेल, मटर उत्पादक, जमखार
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