
जबलपुर. ताल-तलैयों का शहर। हरियाली संग ये खूबसूरत तालाब, पौराणिक कुंड जिनके चलते शहर की खूबसूरती में चार चांद लगते रहे। अब इन पर भू माफिया की नजर लग गई है। इन तालाबों पर कब्जा किया जा रहा है। प्रशासन है कि सब कुछ जानते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है। ऐसे में अब इन्हें अक्षुण्ण रखने, इन्हें बचाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
बताया जा रहा है कि जबलपुर शहर में कभी 52 खूबसूरत तालाब हुआ करते थे। लेकिन भू माफिया ने इन्हें बर्बाद कर दिया है। कइयों का तो अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है और जो बचे है उन पर भी भू माफिया की गिद्ध दृष्टि लगी है। इऩ्हें बचाने के लिए न्यायालय से गुहार लगाई गई है। बताया ये भी जा रहा है कि इससे पूर्व भी कोर्ट के निर्देश पर राजा बर्मन, कटार बर्मन व संजू बर्मन अवैध निर्माण हटाए जा चुके हैं।
इनमें से एक गढ़ा का इमरती तालाब जिसके तीन किनारों पर भू माफिया ने अवैध उत्खनन शुरू कर दिया है। इसकी शिकायत की गई, लेकिन अफसरों ने तनिक भी ध्यान नहीं दिया। बता दें कि इस मामले में कोर्ट पहले ही अतिक्रमण को हटाकर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद अतिक्रमण हटाए गए।
इससे पूर्व नगर निगम की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने कोर्ट को अवगत कराया कि इमरती तालाब के अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम एक्ट की धारा 307 के तहत नोटिस दिए गए थे। इन्हें हटाया जा चुका है। इस पर अधिवक्ता ब्रह्मेन्द्र पाठक ने तर्क दिया कि शहर के सभी तालाबों में अतिक्रमण, कचरे के अम्बार की समस्या काफी पुरानी है। इनकी ओर ध्यान नही दिया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने नगर निगम से स्टेटस रिपोर्ट मांग ली है।
शहर के सभी तालाबों का निरीक्षण कर कार्रवाई पर बल दिया गया है। जबलपुर नगर निगम की ओर से मप्र हाइकोर्ट के समक्ष जवाब दिया गया था कि प्रसिद्ध इमरती तालाब के अवैध अतिक्रमण हटा दिए गए हैं । इस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा था कि शहर के सभी तालाबों की हालत खराब है। लिहाजा नगर निगम सभी का निरीक्षण कर कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करे। इसके लिए सरकार को 18 जनवरी तक का समय दिया गया है।
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