
जबलपुर। सीमा की पहरेदारी के लिए 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप की दूसरी खेप जल्द ही सेना को मिलेगी। शहर स्थित गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) की ओर से हाल ही में कुछ तोप का परीक्षण कराया गया था। अब गुणवत्ता की जांच करने वाली संस्था डीजीक्यूए की ओर से आइनोट दिए जाने के बाद इनकी सुपुर्दुगी हो जाएगी। दूसरे बेड़े में कितनी तोप शामिल की जाएंगी, यह स्थितियों पर निर्भर करता है। पहली बार एक साथ छह तोप सेना के हवाले की गई थीं। 38 किमी तक दुश्मन पर गोला बरसाने वाली धनुष सेना की पसंदीदा तोप में शामिल है। कुछ समय पहले बालासोर में दो तोप का परीक्षण कराया था। अब तोप पूरी तरह तैयार है, केवल डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) की तरफ से इंस्पेक्शन नोट मिलना है। यह इसकी गुणवत्ता का प्रमाण है। यह सर्टिफिकेट मिलने के बाद कोई भी हथियार सेना के सुपुर्द किया जा सकता है। अप्रैल 2019 में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी।
धनुष तोप का उत्पादन पिछड़ता देख आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) ने हाल में एक आदेश जारी कर शारंग तोप प्रोजेक्ट को जीसीएफ से वीकल फैक्ट्री जबलपुर शिफ्ट कर दिया था। इसलिए अब इसका उत्पादन तेज हो जाएगा। हालांकि, थोड़ा काम बाकी है। लेकिन, आगामी दिनों में शारंग तोप बनाने में इस्तेमाल हो रहा मानव संसाधन धनुष तोप प्रोजेक्ट में शिफ्ट हो जाएगा। ऐसे में सेना को लगातार धनुष तोप मिलती रहेंगी।
धनुष सेना के पास मौजूद बोफोर्स तोप का अपग्रेड वर्जन है। इसका नियमित उत्पादन जीसीएफ में शुरू हो चुका है। इस काम के लिए फैक्ट्री में धनुष इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया गया है। विशेषज्ञों की देखरेख में तोप तैयार की जाती है। अप्रैल 2019 में जब पहली बार छह तोप दी गई थीं, तभी से यहां धनुष तैयार कर उसका ट्रायल कराया जा रहा है।
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