कुछ ज्यादा अमानवीय हो रहे हैं वर्दीधारी!

 

जबलपुर। मानवाधिकार हनन के मामले में राज्य सरकार का पुलिस महकमा सबसे आगे है। मानवाधिकार आयोग के जबलपुर केंद्र में बीते दो सालों के दौरान आई शिकायतों के आंकड़े यही कह रहे हैं। अमानवीयता के मसले में स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग भी पीछे नही नजर आते। 2019 में पुलिस के खिलाफ आयोग में 36.7 फीसदी शिकायतें आईं। लॉकडाउन के चलते करीब 4 माह तक पूरी तरह हर प्रकार की गतिविधियां ठप्प रहने के बावजूद इस वर्ष अब तक आई शिकायतों में 22.8 फीसदी शिकायतें पुलिस के खिलाफ हैं। मानवाधिकार आयोग के समक्ष आने वाली शिकायतों में हर तरह की शिकायतें शामिल हैं। कार्यालय प्रभारी फरजाना मिर्जा बताती हैं कि आयोग में लगभग प्रतिदिन कई तरह की शिकायतें आती हैं। इन्हें दर्ज कर आयोग के मुख्यालय भेज दिया जाता है। जहां इन पर विचार के बाद आयोग कार्रवाई करता है। फरजाना का कहना है कि बीते कुछ सालों से पुरुष उत्पीडऩ के मामले भी सामने आ रहे हैं। इससे सम्बंधित शिकायतें बड़ी संख्या में दर्ज की गई हैं। पुलिस के अलावा आयोग के समक्ष सबसे अधिक शिकायतें नगर निगम की हैं। पेयजल, बेजा कब्जा, नाले-नलियों की समस्याएं इनमें प्रमुख होती हैं। प्रशासन के खिलाफ और घरेलू हिंसा के मामले भी बड़ी संख्या में आयोग के समक्ष की गई शिकायतों में उठाए गए हैं।
पत्नी से दिलाओ गुजारा भत्ता
लालमाटी जबलपुर निवासी गोविंद ने आयोग को की गई शिकायत में कहा कि उसकी पत्नी नगर निगम में कार्यरत है। वह उसे व तीन बच्चों को छोड़कर अलग रह रही है। आयोग से आग्रह किया गया कि जीवनयापन के लिए उसे पत्नी का 30 फीसदी वेतन दिलाया जाए।
डॉक्टरों की लापरवाही से पुत्र खोया
मंडला जिले के अंजनिया निवासी एसआर शुक्ला ने शिकायत में कहा कि उनके पुत्र प्रवीण की मौत निजी अस्पताल जबलपुर के डॉक्टरों और नर्स की लापरवाही से हो गई। उन्होंने इसकी जांच समिति गठित कर करवाने का आग्रह किया। दोषियों को दण्डित करने की मांग की गई।
बेटे को मारती है बहू
भटौली, ग्वारीघाट निवासी शीला सेन ने शिकायत प्रस्तुत कर कहा कि उसकी बहू लीलावती उसके पुत्र राहुल को पीटती है। वह सास-ससुर से भी दुव्र्यवहार कर उन्हें प्रताडि़त करती है। पूरे परिवार को झूठे दहेज के प्रकरण में फंसाने की धमकी देती है। बहू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई।



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