
जबलपुर। ललपुर जलशोधन संयत्र में जो पानी फिल्टर किया जा रहा है, उस पानी से लोहा, सल्फर, नाइट्रेट जैसी अशुद्धि पूरी तरह दूर नहीं हो पाती है। संयत्र में लगा लोहा जंग खा रहा है। कबाड़ हो रही मशीनरी लगातार पानी में होने की वजह से कमजोर होती जा रही है। संयत्र की रासायनिक प्रयोगशाला में यह सामने आया है कि पानी को मानक शुद्ध मानकर छोड़ दिया जाता है।
जंग खा रहा लोहा, संयत्र में मशीनरी हो रही कबाड़
फिटकरी और ब्लीचिंग के भरोसे जल शोधन संयत्र
ग्वारीघाट से लगे ललपुर में 42-55 एमएलडी का जल शोधन संयत्र है। इस संयत्र में नर्मदा से आने वाले पानी का ट्रीटमेंट करके उसे शहर की टंकियां में भेज दिया जाता है। यहां पानी का ट्रीटमेंट दो चरणों में किया जाता है। इसमें प्रथम चरण में पानी को खींचकर उसे प्लांट में भेजा जाता है। प्लांट में पहुंचने के पहले इसे विभिन्न टंकियों से गुजारा जाता है। टंकियों से गुजारने के साथ ही इसमें जरूरत पडऩे पर ब्लीचिंग और फिटकरी मिलाई जाती है। यह पानी प्रथम दृष्टया फिल्टर होने के साथ ही इसे दूसरे फिल्टर टैंक में भेजा जाता है, जहां इस पानी की जांच के बाद इसे आगे भेज दिया जाता है।

दो गोलाकार टैंक- फिल्टर प्लांट में दो गोलाकार टैंक में नर्मदा नदी से खींचा गया पानी सीधे आता है। इस पानी को घुमाया जाता है और इसमें मिली हुई मोटी अशुद्धियां हटा दी जाती हैं। इसके बाद यह पानी यहां बने विभिन्न टैंकों से गुजरता है। इसमें पानी की गुणवत्ता को देखकर ब्लीचिंग-फिटकर मिलाई जाती है।
ये होती है जांच- फिल्टर प्लांट में औसतन 2200 क्यूसेक पानी प्रति घंटे के हिसाब से प्राप्त होता है। इस पानी से प्राथमिक अशुद्धि तीन चरण में दूर की जाती है। तीनों प्रकार के पानी का सेंपल लिया जाता है। प्राप्त होने वाले पानी, थमे पानी और भेजने वाले पानी की। तीनों प्रकार के पानी का पीएच मान निकाला जाता है। इस पानी का क्षारीयपन, कठोरता और क्लोराइड की मात्रता देखी जाती है। पानी के सेंपल की जांच कर आयरन, फ्लोराइड, नाइट्रेट और सल्फेट की मौजूदगी देखी जाती है। पानी की जांच करने में किसी भी तत्व की बढ़ी मात्रा को कम करने के लिए ब्लीचिंग-फिटकरी के अलावा अंत में क्लोरीन गैस मिश्रित की जाती है।
ये हो रहा है : लैब में पीएच मान, क्षारीयपन, कठोरता, क्लोराइड, फ्लोराइड आदि की जांच कर उसे कम किया जा रहा है लेकिन आयरन, नाइट्रेट और सल्फेट जैसी अशुद्धि के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है और उसे वैसे ही पानी में जाने दिया जाता है। इस अशुद्धि को जांच करने के लिए नगर निगम के पास अत्याधुनिक मशीन नहीं है। एक पुरानी मशीन है लेकिन वह कंडम हो चुकी है, जिससे पानी की अशुद्धि की जांच नहीं हो सकती है।

ये कहते हैं एक्सपर्ट- विक्टोरिया अस्पताल के एमडी डॉ. सदीप भगत के मुताबिक पानी में रासायनिक अशुद्धि का असर खासकर पेट संबंधी बीमारी, किडनी, लीवर, ह्दय और अन्य बीमारियों पीडि़त मरीजों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके लिए मरीज पानी को आरओ मशीन में फिल्टर करके या फिर पानी को उबालकर पीना चाहिए, जिससे उन्हें नुकसान नहीं पहुंचेगा।
लैब में टेक्निीशियन पदस्थ है। पानी की नियमित जांच की जा रही है। जरूरी जांचों के लिए नई मशीनें आ रही हैं, जिससे पानी की सारी जांचे की जा सकेंगी।
- भूपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम
ऑफ दी रेकॉर्ड
नगर निगम कमिश्नर के दौरे के दौरान प्लांट की सप्लाई लाइन को रंगरोगन कर दिया गया था। कमिश्नर को उन्ही स्थानों का निरीक्षण कराया गया है, जहां साफ-सफाई थी। अधघुली फिटकरी और ब्लीचिंग पाउडर की जगह पर नहीं ले जाया गया।
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