
जबलपुर/ केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान दिल्ली बाॅर्डर पर धरना दिए हुए हैं। सरकार और किसान नेताओं के मध्य 5वें दौर की वार्ता कल भी निर्णायक स्थिति में नही पहुंची, लेकिन कृषि मंत्री द्वारा इन कानूनों में संषोधन करने की सहमति जाहिर की गई और 9 दिसंबर को पुनः वार्ता के लिए दोनों पक्ष सहमत हुए हैं। यद्यपि किसान नेताओं ने वार्ता में आने की सहमति तो दी लेकिन फिर भी 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा कर दी गई है।
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देश की जनता ये भी जान चुकी है कि, पंजाब राज्य सरकार द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में कैंद्रीय कानून को निरस्त कर 5 जून से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है, फिर भी पंजाब के ही किसान नेता तीनों बिलों को वापस लेने की मांग पर क्यों अड़े हुए हैं?
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भारतीय किसान संघ बिलों को वापस नहीं लेकर, न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदी नहीं हो, व्यापारियों से किसान की राशि की गारंटी रहे, पृथक कृषि न्यायालय खड़े हों और अन्य संशोधनों के साथ लागू करने की मांग कर रहा है, क्योंकि पूरे देश में कई तरह की फसलों का उत्पादन करने वाले छोटे-बड़े सभी किसानों के लिए इन बिलों की उपादेयता सिद्व होती है, इसलिए इन्हें वापस लेने की मांग पर अड़ कर रहने का समर्थन हम नहीं कर सकते।
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इसके अलावा, अब तक ये आंदोलन अनुषासित चला है, लेकिन ताजा घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए ये कहना अनुचित नहीं होगा कि, विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोही तत्व और कुछ राजनैतिक दलों का प्रयास किसान आंदोलन को अराजकता की ओर मोड़ देने में प्रयासरत है। अंदेशा है कि, साल 2017 में मंदसौर की दर्दनाक स्थिति की पुनरावृत्ति नहीं कर दी जाए, जहां 6 किसानों की गोली से मृत्यु हुई, 32 गाड़ियां जली और दुकाने-घर जले। उस समय जिन लोगों ने किसानों को हिंसक आंदोलन में झोंका वो नेता तो विधायक और मंत्री बन चुके, लेकिन जो जले-मरे उनके परिवार आज बर्बादी का दंश झेल रहे हैं। ऐसे आंदोलन से नुकसान तो देश का और किसानों का ही होता है।
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भारतीय किसान संघ का अनुरोध
अतः भारतीय किसान संघ ने ‘8 दिसंबर के भारत बंद’ से अलग रहने का निर्णय लिया है और अपने कार्यकर्ताओं से आहवान करता है कि, भारत बंद के संबंध में जनता को सावधान करें, स्वयं सजग रहें, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय वारदात से बचा जा सके। इस आह्वान को भारतीय किसान संघ की जबलपुर शाखा द्वारा भी समर्थन दे दिया गया है। साथ ही, किसान संघ द्वारा देश की जनता से अनुरोध भी किया कि, अपेक्षा करते है कि देश की समस्त जनता एवं किसान बंधु भारतीय किसान संघ के इस अनुरोध को गंभीरता से लेते हुए साथ देगें।
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