
जबलपुर। कभी सुना है कि किसी परिवार में रोज किसी न किसी सदस्य का जन्मदिन मनाया जाए। कहेंगे कि इतना बड़ा परिवार किसी का होता ही नहीं है। लेकिन जबलपुर संस्कारधानी में एक ऐसा परिवार है ‘सुख दुख परिवार’, जो साल के 365 दिन जन्मदिन सेलिब्रेट करता है। सबसे खास बात ये जन्मदिन में केवल पौधे का गिफ्ट देता है। जिसे लगाने और संभालकर पेड़ बनाने की जिम्मेदारी जन्मदिन मनाने वाले की होती है। इस परिवार के लोगों ने अब तक सैकड़ों की संख्या में पौधों को पेड़ बना दिया है। ये क्रम किसी के घर में मृत्यु होने पर भी जारी रहता है। मृतक की स्मृति में दुखी परिवार पौधा लगाकर उसे बिछड़े सदस्य के रूप में ताउम्र पूजता है।
साल 2016 में बनाया परिवार, सैकड़ों पौधे बने पेड़
सामाजिक कार्यकर्ता पवन तिवारी ने 7 जुलाई 2017 को वॉट्सएप पर सुख दुख परिवार नाम से एक ग्रुप बनाया। पवन तिवारी के अनुसार उस दिन उनके बेटे का जन्मदिन था, उसे यादगार बनाने के लिए उन्होंने एक पौधा रोपा और बेटे को संकल्प कराया कि इसे पेड़ बनाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। बस इसी सोच ने उसी शाम सुख दुख परिवार की परिकल्पना को साकार कर दिया। इसमें सबसे पहले वे लोग जोड़ गए जो समान विचारधारा के थे, जैसे पेड़ पौधे लगाना, साफ सफाई और जरूरतमंदों की मदद में आगे रहना। सदस्यों के परिवार में हर दिन किसी न किसी का जन्मदिन मनाया जाता है और उसे एक पौधा, केसरिया अंग वस्त्र देकर वचन लिया जाता है कि वह प्रकृति की रक्षा करेगा। ये अटूट सिलसिला कोरोना काल में नियमों का पालन करते हुए आज भी जारी है। जन्मदिन पर दिए गए अधिकतर पौधे अब पेड़ बन चुके हैं।

पेड़ों को बचाने का सबसे अच्छा तरीका
पवन तिवारी का कहना है कि आम तौर पर लोग आजकर पौधे केवल फोटो छपवाने और सोशल मीडिया पर डालने के लिए बस करते हैं। वहीं जन्मदिन व शोक सभा पर दिए गए पौधों की लोग सेवा करते हुए उसे पौधे बनाने तक में जी जान से जुटे रहते हैं। सुख दुख परिवार द्वारा दिए गए पौधों में से आधे से ज्यादा पेड़ बन गए हैं। परिवार की सदस्य दीपमाला केशरवानी, अतुल दानी के अनुसार पीपल, बरगद, आम, नीम, गूलर, कदम, जामुन, गुलमोहर समेत ऐसे पौधों का उपहार दिया जाता है जो दीर्घायु होते हैं और पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऑपरेशन के लिए जुटाए पैसे, पढ़ाई का लिया जिम्मा
परिवार के सक्रिय सदस्य मनीष विश्वकर्मा, भोले शंकर सोनी ने बताया कि पिछले साल एक बच्ची के ऑपरेशन के लिए पैसों की जरूरत पड़ी। ग्रुप में पवन तिवारी ने एक मैसेज पोस्ट किया। देखते ही देखते दो दिन में 50000 से ज्यादा रुपए एकत्रित हो गए। वहीं एक कैंसर पेशेंट के इलाज के लिए पैसे जोड़े, लेकिन उसकी अस्पताल में मृत्यु हो गई। तब सुख दुख परिवार के सदस्यों ने उनके बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा लिया और हर संभव मदद कर पढ़ाई जारी रखी।
3 महीने सुबह शाम बांटा भोजन
परिवार के सदस्य महेश बजाज, वंदना सिंह बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान 700 पैकेज भोजन जरूरतमंद मजदूरों व गरीबों को सुबह शाम 350-350 भोजन के पैकेट वितरित किए गए। इसमें ग्रुप के सदस्यों ने अपने सामथ्र्य अनुसार सहयोग दिया। भोजन में पुड़ी, हलवा, पनीर, मटर, छोले से लेकर गुलाब जामुन, खोवे की बर्फी आदि भी रोजाना शामिल किए जाते थे।
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