
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर पूर्व में जारी आदेश को सोमवार को बरकरार रखा। प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 14 प्रतिशत से अधिक आरक्षण किए जाने पर अंतरिम रोक लगाई है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने ओबीसी वर्ग के तहत राज्य में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों का डाटा पेश किया।
हाईकोर्ट में अगली सुनवाई नौ दिसंबर को
14 प्रतिशत से अधिक ओबीसी आरक्षण पर रोक बरकरार
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार, याचिकाकर्ता और हस्तक्षेपकर्ताओं को एक-दूसरे के दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी। जबलपुर निवासी असिता दुबे और भोपाल निवासी ऋचा पांडे व सुमन सिंह ने याचिका दायर कर कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 16 व सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार एससीएसटी, ओबीसी को मिलाकर आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक नहीं हो सकता। इसके बावजूद ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को अंतरिम आदेश जारी कर 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का अध्यादेश स्थगित कर दिया था।
सरकार की ओर से सोमवार को एक आवेदन पेश कर कहा गया कि राज्य में ओबीसी की कुल जनसंख्या 51 प्रतिशत है। इसके अनुपात में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। 53 सरकारी विभागों में कुल 321944 पदों में से महज 43978 पद ही ओबीसी के लिए आरक्षित हैं।
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