
जबलपुर। पॉलीथिन के इस्तेमाल पर लाख कोशिशों के बाद भी जबलपुर शहर में लगाम नहीं लग पा रही। इस्तेमाल के बाद पॉलथिन खुले में फें की जा रही हैं। कई बार तो घरों की बची हुई खाद्य सामग्री भी पॉलीथिन में भरकर कचरे के ढेर में फेंक दी जाती हैं, जिन्हें निगलने से मवेशियों की मौत भी हो रही हैं। इसके बावजूद प्रशासन से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पॉलीथिन का उपयोग रोकने कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा है। अमानक पॉलीथिन का उपयोग रोकने के नाम पर नगर निगम जब्ती और जुर्माना की छुटपुट कार्रवाई कर रहा है। सब्जी, फल वालों के ठेलों पर पॉलीथिन जब्ती और जुर्माना की कार्रवाई की जा रही है। पॉलीथिन के बड़े गोदामों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
अमानक पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुहिम शुरू की थी। शुरुआती महीनों में जिला प्रशासन, नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सक्रियता दिखाई, लेकिन फिर उनका रवैया सुस्त हो गया। पॉलीथिन निगलने के कारण ग्वारीघाट इलाके में कई मवेशियों की मौत हो चुकी है। ग्वारीघाट तीर्थ पुरोहित समिति के अभिषेक मिश्रा ने बताया तट के समीप पॉलीथिन निगल कर तीन दिन में दो मवेशियों की मौत हो गई। इसी तरह से ललपुर के समीप दो महीने पहले चार मवेशियों की पॉलीथिन निगलकर मौत हो चुकी है। इससे पहले वेटरनरी अस्पताल में कई बीमार गायों के ऑपरेशन करने पर कई किलो पॉलीथिन पायी गई। नगर निगम जबलपुर के स्वास्थ्य अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अमानक पॉलीथिन की जब्ती की कार्रवाई नियमित रूप से की जा रही है। कार्रवाई को और गति दी जाएगी। साथ ही अमानक पॉलीथिन का उपयोग न करने व खुले में पॉलीथिन नहीं डालने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा।
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