कलेक्टर की क्लास में पढ़ाई गई आत्मनिर्भरता की एबीसीडी

जबलपुर। आत्मनिर्भर जबलपुर के लिए शुक्रवार को हुए मंथन में मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग व प्रमुख उत्पादों को ब्रॉन्ड के रूप में पेश किए जाने पर जोर दिया गया। कलेक्टर कार्यालय में प्रमुख विभागों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में रक्षा क्षेत्र में निवेश एवं रोजगार तलाशने के अलावा बांस आधारित उद्योग, रिटेल वेयर हाउसिंग हब, कोल्ड स्टोरेज चेन बनाने पर विचार किया गया। कृषि का रकबा बढ़ाने, मटर आधारिक उद्योगों की स्थापना, फूड पार्क बनाना, दूध का उत्पादन बढ़ाना, कंटेनर डिपो की स्थापना आदि को आत्मनिर्भर जबलपुर की दिशा में बेहतर कदम बताया गया।

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि 20 दिन में कार्ययोजना तैयार कर ली जाए। सभी विभाग कार्यों को दो भागों में बांटें। इसमें अगले तीन दिनों में किए जाने वाले कार्य और 30 दिन में कितना कार्य हो सकता है, उसकी योजना बनाएं। योजना में उद्योग, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुशासन और भौतिक अधोसंरचनात्मक विकास सहित हर गतिविधि को शामिल करने के निर्देश दिए। इसके लिए उप-समितियों का गठन भी किया जा सकता है।
उद्योग विभाग पर ज्यादा दारोमदार
आत्मनिर्भर जबलपुर में वैसे तो सभी विभागों का योगदान महत्वपूर्ण होगा। लेकिन, उत्पादन, निवेश एवं रोजगार के मामले में उद्योग विभाग की बड़ी भूमिका रहेगी। बड़ी बात यह है कि जबलपुर में छोटी एवं बड़ी इंडस्ट्री की स्थापना के लिए पर्याप्त जगह है। उमरिया-डुंगरिया, हरगढ़ और मनेरी औद्योगिक क्षेत्र है। यहां ऐसे कई संसाधन आसानी से उपलब्ध हैं, जो मध्यप्रदेश में कहीं नहीं हैं।
यहां ज्यादा सम्भावनाएं
- रेडीमेड गारमेंट उद्योग।
- कृषि आधारित उद्योग।
- टिम्बर पार्क की स्थापना।
- मटर व सिंघाड़े की प्रोसेंसिंग यूनिट।
- डिफेंस क्लस्टर।
- बांस क्लस्टर।
- फेब्रीकेशन क्लस्टर की स्थापना।
- फर्नीचर निर्माण क्लस्टर।
- आइटी पार्क का तेज विकास।
- छोटे उद्योगों के लिए मल्टी स्टोरी बिल्डिंग।
- पावरलूम क्लस्टर पर जोर।
- नगर निगम की खाली जमीन का उपयोग।
- छोटी-बड़े बाजार कॉम्पलेक्स बनें।
- इंडस्ट्रीयल एरिया में निवेश आए।
बैठक में विभागों के लिए यह चर्चा
कृषि विभाग- फसल का रकबा बढ़ाना, पर्याप्त संख्या में किसानों को फसल बीमा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना, लैब की स्थापना, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा व उनके क्लस्टर तैयार करना। शहपुरा में फूड पार्क बनाना।
पशुपालन पालन - दुग्ध संघ की कार्यक्षमता बढ़ाई जाए। दुग्ध संघ की क्षमता एक लाख लीटर। अभी 40 हजार लीटर दूध की प्रोसेसिंग। 130 पार्लर का संचालन, इनकी संख्या बढ़ाई जाए। नई समितियों को जोड़ा जाए।
उद्यानिकी, मछली पालन- तालाब एवं नदियों में मछली का उत्पादन बढ़ाना। शहतूत व रेशम उत्पादन को बढ़ावा। मधुमक्खी पालन व शहर की प्रसंस्करण इकाइयों को लगाया जाए।
उद्योग विभाग- बांस आधारित उद्योग लगाना, नर्मदा एक्सप्रेस वे के निकट औद्योगिक कॉरिडोर, रक्षा क्षेत्र में निवेश व रोजगार तलाशना, कंटेनर डिपो जबलपुर या नजदीक स्थापित हो। रिटेल वेयर हाउसिंग अब व कोल्ड स्टोरेज चेन बनाना। इसके अलावा इन्वेस्टर्स समिट में जबलपुर में निवेश के इच्छुक निवेशकों से चर्चा कर उद्योगों की स्थापना पर जोर देना।
व्यापार,वाणिज्य- शहर के बड़े उद्योगपति, ट्रिपल आइटीडीएम, टीएफआरआई सहित दूसरे विभागों के विशेषज्ञों का पूल बनाया जाए।
वन, प्राकृतिक साधन- महाकोशल क्षेत्र के जंगलों में बांस प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है । इसलिए इसका दोहन उद्योग के रूप में किया जाए। जड़ी-बूटी की प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।



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