जल्द ही वूलन उत्पाद में भी बजेगा इस शहर का डंका

जबलपुर। सलवार-सूट और शर्ट निर्माण के बाद अब जबलपुर में वूलन प्रोडक्ट बनाने का काम भी शुरू हो गया है। रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर में एक इकाई में काम शुरू हो गया है। इसमें रोजगार और काम की व्यापक सम्भावनाओं को देखते हुए अन्य कारोबारी भी इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने की योजना बना रहे हैं। वर्तमान में निटिंग (बुनाई) का काम केवल लुधियाना में होता है। वहीं से वूलन उत्पाद शहर आते हैं। अब शहर में यार्न से फेब्रिक बनाकरउत्पाद बनाए जा रहे हैं। शहर में सलवार सूट का काम व्यापक पैमाने पर होता है। यहां करीब ५०० छोटी- बड़ी इकाइयां स्थापित हैं। लेकिन, बदलती जरुरतों और और मांग को देखते हुए नए वस्त्रों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। गोहलपुर में लेमा गार्डन स्थित रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर में सलवार सूट के साथ कई कारोबारी जींस और होजरी आइटम भी तैयार करेंगे। इसके लिए कई यूनिट में मशीनें आ गई हैं।
पूरी प्रक्रिया जबलपुर में ही
शहर में सीजन में २०० से ३०० करोड़ रुपए का वूलन प्रोडक्ट का कारोबार होता है। इसमें से ८०-९० फीसदी सप्लाई लुधियाना से होती है। इसमें ऊन से बने स्वेटर, जैकेट, शॉल, कम्बल, अंडर गारमेंट, लेडीज सूट आदि उत्पाद शामिल हैं। अब क्लस्टर में स्थापित यूनिट में धागा (यार्न), फेब्रिक बनाकर उत्पाद बनाने का काम शुरू हो गया है। यार्न अभी भी लुधियाना से मंगाया जा रहा है। इस नए प्रोडक्ट में कम निवेश पर अधिक लाभ और रोजगार की सम्भावनाओं को देखते हुए जबलपुर अपैरल इनोवेशन एंड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (जायमा) उद्यमियों के साथ कारीगरों और महिलाओं को प्रशिक्षण देगा। जायमा के अध्यक्ष अनुराग जैन ने बताया कि लुधियाना में पूरे साल वूलन प्रोडक्ट का काम चलता है। पौने दो लाख रुपए में मशीन स्थापित कर कोई भी व्यक्ति शहर में स्वरोजगार स्थापित कर सकता है। अपग्रेडेशन वाली मशीनों से होजरी आइटम भी बनाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि नए प्रोडक्ट के लिए जल्द ही नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा।



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