
जबलपुर।
स्कूलों के फीस प्रतिपूर्ति के प्रपोजलों को नोडल अधिकारी सत्यापन के नाम पर अडंगा लगा रहे हैं जिससे प्रतिपूर्ति के भुगतान की कार्रवाई में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है। इसके पीछे अधिकारियों का मकसद संदेहास्पद प्रतीत होता है। इस कार्यप्रणाली को सुधारा जाए साथ ही कोरोना काल में आर्थिक परेशानी से गुजर रहे स्कूलों को राहत दी जाए। विभिन्न समस्याओं को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने जिला शिक्षा केंद्र में प्रदर्शन कर डीपीसी को मांगों का ज्ञापन सौंपा। संघ के अध्यक्ष दूलीचंद देवानी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने डीपीसी से शिकायत करते हुए कहा कि अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा के अंतर्गत अध्ययनरत छात्र, छात्राओं की फीस प्रतिपूर्ति सत्र 2011-12 से तक की तुरंत भुगतान किया जाये। प्रपोजलों के सत्यापन के नाम पर अनावश्यक विलंब करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। कोविड -19 की आपदा में बीआरसी एवं संकुल प्राचार्यों द्वारा मंगाई जाने वाली जानकारी ऑनलाईन मांगे जाने पर ऑनलाईन ही स्वीकार की जाये। हार्ड कॉपी की जगह वाटसअप, ईमेल से ली जाए। सचिव आरएल मिश्रा, राजेश साहू, देवेन्द्र विश्वकर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से प्राइवेट स्कूल संचालकों को आर्थिक एवं मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। अत: स्कूलों से लिया जाने वाला टैक्स जैसे की प्रापर्टी टैक्स, बिजली बिल आदि माफ किए जायें एवं जिन संचालकों द्वारा विभिन्न प्रकार के लोन लिए गये हैं उनकी किश्त वर्तमान सत्र के लिए रोकी जाये तथा ब्याज माफ किया जाए। यदि समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाता है तो एेसी स्थिति में एसोशिएशन आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। प्रदर्शन के दौरान उषा वर्मा, अनिल सिंह, मोहम्मद अनीस, मीना विश्वकर्मा, संतोष पटेल, मंजू उमरे सुशील गुप्ता, जगदीश पटेल, कमलेश शर्मा, प्रवीण डोनाल्ड, मनीष कश्यप, राजीव सिंह, आरसी विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे।
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