
जबलपुर। पुण्यसलिला नर्मदा के तट पर बसे जबलपुर शहर या कहें कि संस्कारधानी की उर्वरा धारा से उपजी अध्यात्मिक ऊर्जा ने दुनियाभर को आलोकित किया है। त्रेतायुग में राजा दशरथ से लेकर भगवान राम का मार्गदर्शन करने वाले ऋषि जाबालि के नाम पर नगर जबलपुर कहलाता है। उस युग से लेकर आज तक रेवा के तटों में संतों की साधना, सिद्धि और अर्जित ज्ञान से दुनिया को प्रकाशित करना अनवरत जारी है। इस धरती से ऋषि जाबालि, ऋषि भृगु, पं. रामकिं कर महाराज, ठनठनपाल महाराज, गौरी शंकर महाराज, रामचंद्र शास्त्री, शिवदत्त महाराज, नरहरि दास महाराज, सेवक राम जी, महर्षि महेश योगी, आचार्य रजनीश ओशो जैसी दिव्यशक्तियों का नाम जुड़ा है। इनके अलावा करपात्री महाराज, स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज, स्वामी सत्यमित्रानंद, प्रभु दत्त ब्रह्मचारी नर्मदा तट की पावन धारा में तप-साधना के लिए आते रहे।
संतों की रेवा के किनारे साधना, सिद्धि और समाज के मार्गदर्शन की परम्परा आज भी जारी है। शंकराचार्य, महामंडलेश्वर जैसे पदों से विभूषित संत समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज-शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने वर्षों तक नर्मदा के तटों पर साधना की है। शंकराचार्य बनने के बाद भी सदा से उनका जबलपुर से जुड़ाव रहा है। सामाजिक बुराइयां दूर करने के लिए सदैव प्रयासरत रहे हैं।
स्वामी श्याम देवाचार्य : महामंडलेश्वर स्वामी श्याम देवाचार्य सामाजिक एकता, विश्व बंधुत्व को लेकर लगातार काम कर रहे हैं। वे भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़कर जीवन की हर समस्या से उबरने की राह दिखा रहे हैं।
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि : महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि समाज के आध्यात्मिक मार्गदर्शन के साथ ही देशभर में लोगों में गौ संरक्षण की अलख जगा रहे हैं। आज देशभर में उनके शिष्य गौ संरक्षण पर काम कर रहे हैं।
स्वामी गिरीशानंद सरस्वती : स्वामी गिरीशानंद सरस्वती अपने गुरू अखंडानंद सरस्वती की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। वे नर्मदा संरक्षण को लेकर लगातार काम कर रहे हैं। वे शासन-प्रशासन का लगातार मार्गदर्शन कर रहे हैं कि प्रदेश को खुशहाल बनाए रखने के लिए नर्मदा की धारा को अविरल रखा जा सके।
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