जबलपुर के लोगों को नहीं मिलता पीने का शुद्ध पानी, करोड़ों का ट्रीटमेंट प्लांट बेकार साबित

जबलपुर। शहरवासियों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए पांच जलशोधन संयंत्र बनाए गए हैं। इनमें पानी को शुद्ध करने के लिए निगम प्रशासन हर साल करोड़ों रुपए खर्च करता है। इसके बाद भी घरों में मटमैला और दूषित पानी पहुंच रहा है। इसका कारण है पाइप लाइनों में लीकेज। शहर की ज्यादातर इलाकों में जलापूर्ति लाइन नाले-नालियों से होकर गुजरती हैं। इनमें लीकेज होने से नालों की गंदगी पानी के साथ घरों में पहुंचती है।

256 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है
ट्रीटमेंट पर करोड़ों रुपए खर्च, फिर भी नहीं मिलता शुद्ध पानी

ऐसे होता है ट्रीटमेंट
जलस्रोतों के इंटेकवेल से पानी (रॉ वाटर) लेने के बाद सम्पवेल में केमिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। इसके लिए प्रतिदिन बड़ी मात्रा में एलम, लाइम और क्लोरीन का उपयोग होता है। रॉ वाटर के ट्रीटमेंट के बाद तय मानकों के आधार पर गुणवत्ता की जांच होती है। इसके बाद राइजिंग लाइन से पानी टंकियों तक पहुंचता है। यहां से सप्लाई लाइन से पानी घरों तक पहुंचता है।

जलशोधन संयंत्रों में उपयोग होने वाली सामग्री
15 टन एलम
01 टन लाइम
643 किलो क्लोरीन

प्लांट में एलम का उपयोग
(किलो प्रति घंटा)
120 रांझी
80 भोंगाद्वार
160 ललपुर
200 रमनगरा

शहर के ज्यादातर रिहायशी इलाकों में जलापूर्ति लाइन नाले-नालियों से होकर गुजरी है। काफी पुराने पाइप में जंग लगने से उनमें जगह-जगह सुराख हो गए हैं। इन सुराख से नाले-नालियों की गंदगी पानी के साथ घरों में पहुंचती है। इस समस्या के निराकरण के लिए बड़े पैमाने में सप्लाई लाइन में बदलाव की आवश्यक ता है।
- इंजी. संजय वर्मा, स्ट्रक्चर इंजीनियर, टाउन प्लानर


पानी की पाइप लाइन में लीकेज की जो भी शिकायत आती है उसका निराकरण किया जाता है। हर साल पाइप लाइन में सुधार व ज्यादा खराब होने पर उसे बदलने का काम किया जाता है।
- कमलेश श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री, नगर निगम जल विभाग



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