बड़ा बदलाव! अब धनुष तोप बनाने में वीएफजे करेगा मदद

जबलपुर। देश की सबसे शक्तिशाली 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप में लगने वाले महत्वपूर्ण कलपुर्जों का निर्माण वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) में होगा। इसके लिए फैक्ट्री से गन कैरिज फैक्ट्री कर्मचारी भेजे गए हैं। वे इसका अध्ययन एवं प्रशिक्षण ले रहे हैं। इससे वीएफजे के पास अतिरिक्त काम आएगा। तोप के निर्माण में कलपुर्जों की बाधा भी दूर होगी। 38 से 40 किमी की दूरी तक गोला बरसाने वाली धनुष तोप का मूल काम गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में होता है। यहां से छह तोप सेना को सौंपी जा चुकी हैं। इतनी ही तोप जल्द सुपुर्द करने की तैयारियां की जा रही हैं। तोप में 15 सौ से अधिक छोटे एवं बड़े कलपुर्जें इस्तेमाल होते हैं। बैरल, मजल और इंजन जैसे बड़े कलपुर्जें आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन मशीनिंग और फेब्रीकेशन वाले कई ऐसे कलपुर्जें हैं, जिनकी कमी कई बार दिक्कत पैदा करती है।
जीआइएफ में होती है ढलाई
देश की आयुध निर्माणियां एक दूसरे की सहायक होती हैं। धनुष तोप के लिए वीएफजे नया काम शुरू करने जा रहा है। इसी प्रकार करीब आधा दर्जन कलपुर्जे ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) में भी बनते हैं। इनकी ढलाई यहां की जाती है। फिर इन्हे तोप में लगाया जाता है। वीएफजे के पास सबसे बड़ा गियर शॉप है। इसी प्रकार कई आधुनिक मशीनें हैं, जिनमें अलग-अलग कलपुर्जें तैयार हो सकते हैं। अभी भी सैन्य वाहनों में लगने वाले कई कलपुर्जें वीएफजे खुद बनाती है। वीएफजे ने सैन्य वाहनों के साथ ही तोप निर्माण में महारथ हासिल कर ली है। जीसीएफ के पास सबसे पहले 155 एमएम 45 कैलीबर शारंग तोप का काम आया था। लेकिन, वहां काम की अधिकता थी। इसी प्रकार वीएफजे के पास वर्कलोड की भारी कमी थी। स्थिति यह थी कि कर्मचारी सुबह फैक्ट्री में जाते थे, शाम को वापस आते थे। उनके पास काम नहीं था। इसक बाद कर्मचारियों को जीसीएफ भेजा गया। वहां शारंग का प्रशिक्षण लिया। उसे सफलतापूर्वक तैयार कर सेना को डिस्पैच भी कर दिया है। इसलिए धनुष के कलपुर्जों का काम भी यहां शुरू हो सकता है।



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