
जबलपुर। कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद रहने का सबसे ज्यादा नुकसान उन बच्चों को उठाना पड़ा है जो शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन लेकर पढ़ाई करने वाले थे। प्रदेश में इस साल आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में पात्र बच्चों का एडमिशन नहीं हो पाएगा। स्कूल बंद होने के कारण आरटीई के तहत होने वाले प्रवेश को लेकर फिलहाल विभाग ने कोई निर्णय नहीं लिया है। जिले में करीब 6000 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया आयोजित की जाती है। प्रक्रिया को लेकर फिलहाल वर्तमान शिक्षा सत्र को जीरो ईयर घोषित किया जा रहा है। इसे लेकर विभाग ने शासन स्तर पर प्रस्ताव भेजा है।
आरटीई के तहत 2010 से निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों का दाखिला शुरू हुआ था। जिले में करीब 750 स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश दिया जाता है। इसके लिए अभिभावकों के ऑनलाइन आवेदन के बाद लॉटरी के माध्यम से बच्चों को स्कूल आवंटित किए जाते हैं। प्राइवेट स्कूलों में अन्य बच्चों के एडमिशन भी हुए हैं और फीस भी जमा हो रही है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि स्कूल खुले नहीं हैं तो नामांकन कैसे होंगे। अभिभवक भी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर चक्कर लगा रहे हैं। डीपीसी आरपी चतुर्वेदी कहते है कि इस बार प्रवेश प्रक्रिया नहीं हो सकी है। अभी तक इस दिशा में कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं।
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