छठ पूजा 2020: आज होगा खरना का व्रत, गुड़ की खीर का लगेगा भोग

जबलपुर। चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व बुधवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। इस वर्ष कोरोना संकट के चलते पर्व की गहमागहमी कुछ कम नजर आ रही है। नर्मदा तटों में श्रद्धालुओं की भीड़ थी। छठ पर्व 18 से 21 नवम्बर तक मनाया जाएगा। गुरुवार को खरना का व्रत रखा जाएगा।

ये होता है चार दिन
पहले दिन सुबह व्रत रखने के बाद भक्त अगले दिन की शाम यानि खरना व्रत वाली शाम को भोजन करते हैं। इस दिन वे खीर, चपातियां और फल खाते हैं। दूसरे दिन को लोहंड कहा जाता है।
तीसरे दिन को पहला अघ्र्य या सांध्य अघ्र्य कहा जाता है। श्रद्धालु इस दिन कुछ भी खाने से पूरी तरह परहेज करते हैं। डूबते सूरज की पूजा की जाती है और शाम को अघ्र्य दिया जाता है।
अंतिम दिन व्रतधारी सुबह सूर्योदय के समय सूर्य को अघ्र्य देते हुए पूजा करते है और व्रत खोलते हैं। इसके बाद भक्त खीर, मिठाई, ठेकुआ और फल सहित छठ प्रसाद का सेवन करते हैं। चावल, गेहूं, ताजे फल, नारियल, मेवे, गुड़ और घी में छठ पूजा के प्रसाद के साथ-साथ पारम्परिक छठ भोजन बनाया
जाता है।

 

chhath puja
IMAGE CREDIT: Chhath Puja 2020 Special and list of Chhath Puja Samagri

कार्तिक माह की शुक्लपक्ष पंचमी को महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं। शाम को गुड़ की बनी खीर खाई जाती है। इस विधि को खरना कहा जाता है। षष्टी तिथि छठ महापर्व का सबसे खास दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अघ्र्य अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस बार तीसरे दिन छठ के सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट है। चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 48 मिनट रहेगा।

सोशल डिस्टेंसिंग का रख रहे ध्यान
कोरोना के चलते सामूहिक आयोजन रद्द कर दिए गए हैं। हमने उप्र, बिहार महासंघ के जरिए व्रतियों से आग्रह किया है कि इस साल परिस्थितियों को देखते हुए घरों में ही छठ पूजन करें।
- बंशीधर सिंह, अध्यक्ष नवीन उत्तर भारतीय बिहार कल्याण महासघ

घर पर करें पूजन
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए छठ महापर्व घरों में ही मनाना उचित है। इसलिए सार्वजनिक आयोजन रद्द कर दिए। लोगों से भी घर पर ही पर्व मनाने का आग्रह किया है। भीड़ भरे आयोजनों से बचना श्रेयस्कर है।
- शिवशंकर दुबे, उपाध्यक्ष, नवीन उत्तर भारतीय बिहार कल्याण महासंघ जबलपुर

वेदियों के बीच बढ़ाई दूरी
कोरोना को देखते हुए वेदियों के बीच की दूरी चार फीट कर दी है। महिलाओं की कतारों में भी 6 की जगह 14 फीट की दूरी होगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम व मेले का आयोजन स्थगित कर दिया है।
- योगेश सिंह राठौर, अध्यक्ष, कंचनयुग समिति

भीड़ से होगा नुकसान
जलस्रोतों के किनारे लगने वाली भीड़ नुकसानदेह है। इसलिए लोगों से घर पर ही पूजन करने का आग्रह करते हैं। तालाब के किनारे भी व्रती महिलाओं को एकत्र होने से रोकेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करते हुए पूजन होगा। यही समय की मांग है।
- मोनू पटेल, कंचनयुग समिति



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