
जबलपुर। बरगी के धाधरा गांव से 18 सितम्बर की रात पिता राजेश और मां किरण बरकड़े के बीच से चार महीने के रेहांश के अगवा होने और दस्तयाब की पूरी कहानी फिल्मी निकली। 12 दिन तक पुलिस अंधेरे में हाथ-पांव मारती रही। 250 से अधिक लोगों से पूछताछ कर डाली। तीन अक्टूबर को मिले एक छोटे से क्लू ने बच्चा तस्करी का भंडाफोड़ कर दिया। मासूम को 15 लाख रुपए में मुम्बई में बेचने की तैयारी थी। आरोपियों के मंसूबों पर पानी फेरते हुए पुलिस ने मासूम को सुरक्षित दस्तयाब कर मां की गोद में पहुंचा दिया। वहीं प्रकरण में मासूम की चचेरी दादी सहित तीन महिला और एक पुुरूष को गिरफ्तार किया। एक संदेही की तलाश में टीम मुम्बई जाएगी।

तिलवारा के प्रधान आरक्षक ने खोजा महत्वपूूर्ण क्लू
पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने गुरुवार को इस पूरे प्रकरण का खुलासा किया। बताया कि इस गुत्थी को सुलझाने में एएसपी सिटी अमित कुमार, एएसपी ग्रामीण शिवेश सिंह बघेल, सीएसपी अखिलेश गौर के अलावा तिलवारा थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक सच्चिदानंद सिंह की विशेष भूमिका रही। पुलिस ने मामले में मासूम की चचेरी दादी रामप्यारी बाई उर्फ अंजना बरकड़े, बिरला धर्मशाला बररंग नगर गढ़ा निवासी संजय पांडे उर्फ संजू, उसकी पत्नी शारदा पांडे और रिश्तेदार विपतपुरा स्टेशनगंज नरसिंहपुर निवसी रानू शर्मा उर्फ आयशा को गिरफ्तार किया। प्रकरण में दर्ज 363, 365 व 451 भादवि के मामले में धारा 370 (क), 120 बी, एससी-एसटी एक्ट बढ़ाया है। प्रकरण में एएसपी क्राइम गोपाल खंडे, सीएसपी ओमती आरडी भारद्वाज, टीआई बरगी शिवराज सिंह और क्राइम ब्रांच की टीम भी पहले दिन से लगी रही। खुलासे पर 10 हजार का इनाम घोषित था।
मासूम को सुरक्षित दस्तयाब के साथ खुलासे की थी दोहरी चुनौती-
एसपी बहुगुणा ने बताया कि इस प्रकरण के खुलासे से बड़ी चुनौती मासूम को सुरक्षित दस्तयाब करने की थी। मुख्य आरोपी तीन अक्टूबर को ही रडार पर आ चुका था। तिलवारा में पदस्थ प्रधान आरक्षक सच्चिदानंद से पता चला कि रामप्यारी बाई से आरोपी संजय पांडे के मधुर सम्बंध हैं। उसका दियाखेड़ा में ईट-भट्टा है। वहां से वह रोज दोपहर में एक बजे रामप्यारी के घर आता था और रात में 9-10 बजे निकलता था। मासूम रेहांश के गायब होने पर वह कई दिनों तक नहीं आया था। यहीं से पुलिस को अहम क्लू मिला। संजय पांडे की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की।
तीन दिन की सर्चिंग में पूरे प्रकरण का खुलासा-
छानबीन में पता चला कि उसकी पत्नी शारदा पांडे मुम्बई में रहकर ट्रांसपोर्ट का बिजनेस सम्भाल रही थी। फरवरी में आयी थी। तब से घर पर ही थी। रेहांश के गायब होने की रात से वह भी घर पर नहीं है। शारदा पांडे के मायके से जुड़े भाई-बहनों और उनकी सारे रिश्तेदारों के यहां अलग-अलग टीम पहुंची। शारदा के नरसिंहपुर में ब्याही बहन की बेटी रानू शर्मा उर्फ आयशा ने अजहर खान से शादी की है। पता चला कि मासूम के गायब होने के एक-दो दिन पहले ही वह ससुराल का घर छोडकऱ किराए के कमरे में शिफ्ट हुई थी। उसके साथ शारदा पांडे भी रह रही है। पुलिस ने वहां दबिश देकर मासूम को सुरक्षित दस्तयाब कर लिया। शारदा व रानू को गिरफ्तार करने के बाद टीम रामप्यारी को दबोचने पहुंची तो वह पैदल पहाड़ी व नहर रास्ते टोल प्लाजा के आगे रोड पर इंतजार कर रहे संजय पांडे के साथ फरार हो गई। दोनों पहले लखनादौन रिश्तेदार के यहां और फिर वहां से छिंदवाड़ा रिश्तेदार के घर पहुंच गए। वहां से दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

रात 12.30 बजे मासूम को चुराकर निकल गए थे नरसिंहपुर
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने जो खुलासा किया, उसके मुताबिक रामप्यारी बाई ने 18 सितम्बर की रात 12.30 बजे रेहांश को मां-पिता के बीच से चुराया और गांव के बाहर स्कूल के पास स्कूटी से खड़े संजय व शारदा पांडे को दे दिया। दोनों वहां से सीधे मासूम को लेकर नरसिंहपुर चले गए। शारदा पांडे ने रानू के साथ मिलकर वहां छह सितम्बर को ही कमरा ले चुकी थी। पुलिस ने स्कूटी सहित आरोपियों के मोबाइल भी जब्त किए हैं।
21 सितम्बर को प्लाट का अनुबंध करने आयी थी शारदा-
शारदा भेड़ाघाट रोड पर 16 लाख रुपए में एक आवासीय प्लाट का सोनी सरनेम व्यक्ति से अनुबंध करने आयी थी। उसने छह लाख रुपए दिए थे। पुलिस ने अनुबंध पत्र जब्त किया है। शारदा ने मासूम को अगवा करने के बाद अपने मोबाइल व सिम फेंक कर नया मोबाइल व सिम खरीदा था।
मुम्बई में रहने वाले प्रतापगढ़ निवासी की गिरफ्तारी से खुलेगी अगली कड़ी-
मासूम को मुम्बई में 15 लाख रुपए में बेचने की आरोपियों की तैयारी थी। इसमें प्रतापगढ़ निवासी एक यादव सरनेम वाले व्यक्ति की मध्यस्थता की भी जानकारी सामने आयी है। बच्चे को वीडियो कॉलिंग से दिखाया भी गया था। वहीं एक दूसरी कहानी ये भी सामने आयी है कि शारदा प्रतापगढ़ निवासी अगले संदेही से शादी करना चाहती थी। वह उम्र में आठ वर्ष छोटा है। उसके भी तीन ट्रक आदि मुम्बई में चलते हैं। उसने फरवरी में उसे खुद के गर्भवती होने की जानकारी दी थी। फिर जून में बेटे के पैदा होने की जानकारी दी। इसके एवज में वह उससे पैसे ऐंठ रही थी। रेहांश के अपहरण की कई महीने पहले ही साजिश रची जा चुकी थी। उक्त संदेही की गिरफ्तारी पर ही सही जानकारी सामने आएगी।

बेटे को पाकर निहाल थी मां किरण
20 दिन बाद बेटे को सकुशल पाकर मां किरण और पिता राजेश निहाल थे। बड़ा बेटा अभि भी खुशी से चहक रहा था। किरण ने बताया कि वह तो निराश हो चुकी थी, लेकिन जैसे ही पुलिस ने उसे मोबाइल पर बेटे के सुरक्षित होने की तस्वीर दिखाई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मां की गोद में आकर बेटा भी चहक रहा था।
रो-रोक कर हो गया था बीमार-
रेहांश बरकड़े 18 सितम्बर की रात अगवा होने के बाद रो-रोकर बीमार हो गया था। तब रानू के पति अजहर की मदद से उसे स्थानीय जिला अस्पताल में दिखवाया भी था। उसे बॉटल का दूध पिला रहे थे।
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