
जबलपुर। दहेज सभ्य समाज के लिए कलंक के समान है। ये न केवल समाज में कुरीतियों को बढ़ावा देता है, बल्कि बेटियों वाले परिवारों को बोझ होने का एहसास भी कराता है। एक ऐसे ही मामले में कोर्ट ने दहेज लोभियों के लिए कड़ी टिप्पणी की है।
जिला अदालत की तल्ख टिप्पणी, दहेज प्रताडऩा के आरोपियों की जमानत अर्जी निरस्त
जिला अदालत ने एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसे दहेज लोभी समझ नहीं पाते। इस मत के साथ प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने दहेज प्रताडऩा के आरोपी पति, सास, देवर और ननद की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 30 जून 2020 को मृतका वैष्णवी का विवाह आरोपी आशीष के साथ हिंदू रीति-रिवाज के अनुरूप सम्पन्न हुआ। कुछ समय तक सब ठीक रहा। उसके बाद पति के साथ-साथ सास, देवर व ननद दहेज के लिए प्रताडि़त करने लगे। जिससे तंग आकर वैष्णवी ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। शिकायत पर अधारताल पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर लिया। इसी मामले में आरोपियों की ओर जमानत पाने के लिए यह अर्जी पेश की गई। अभियोजन की ओर से अर्जी का विरोध करते हुए तर्क दिया गया कि इस तरह के मामलों में जमानत का लाभ देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। आरोपी जेल से बाहर रहकर मामले के तथ्यों व गवाहों को प्रभावित भी कर सकते हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।
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