लोग पुलिस से गुस्से में हैं, आरोपी की मौत को बता रहे पाप की सजा

जबलपुर। कारोबारी के बेटे का अपहरण और गला घोटकर हत्या ने जबलपुर के आमलोगों को झकझोर दिया है। अपहरणकर्ताओं की क्रूरता से पूरा शहर हिल गया। पुलिस की नाकामी से हर किसी के चेहरे पर गुस्सा है। प्रेसवार्ता के बाद मुख्य अपहरणकर्ता की मौत होने को भी लोग पाप की तुरंत सजा कह रहे हैं। साथ में पुलिस की नाकामी पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पुलिस खुद भी मानती है कि अपहरण के 24 घंटे बेहद अहम होते हैं, लेकिन पुलिस ने ये मौका पूरी तरह से गवां दिया। पुलिस के गिरफ्त में आए तीनों अपहरणकर्ताओं ने बताया कि वे आदित्य (13) को अगवा करने के बाद बरोदा तिराहा और पनागर क्षेत्र में घुमाते रहे। आरोपियों ने अपहरण के लिए किराए पर कार ली थी। धनवंतरी नगर और अंधमूक बायपास पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, फिर भी पुलिस कार को ट्रैस नहीं कर पाई। आरोपियों ने आदित्य को एक ढाबे पर खाना भी खिलाया था। अगले दिन 16 अक्टूबर को उसे पहले महराजपुर, कुंडम, बघराजी क्षेत्र में घुमाते रहे। रास्ते में एक होटल में समोसा खाया और आदित्य को भी खिलाया। इधर, पुलिस डीजीपी की आवभगत में लगी रही। अपहरणकर्ताओं की घेराबंदी करने में पूरी तरह नाकाम रही।

अपहरणकर्ताओं को पता था कि पुलिस उनके मोबाइल ट्रैस कर रही है। कारोबारी मुकेश लाम्बा से बातचीत में कई बार अपहरणकर्ता ये कहा भी था कि उनका मोबाइल रिकॉर्ड हो रहा है। आरोपियों ने 12 अक्टूबर को कटंगी से मोबाइल छीना। इसी मोाबइल से वे फिरौती के लिए मुकेश से बात करते थे। बात करने के बाद मोबाइल बंद कर देते थे। खुद के मोबाइल बात करने से आधा घंटे पहले ऑफ कर देते थे। एक घंटे बाद ऑन करते थे। अपहरणकर्ताओं ने मुकेश लाम्बा को 16 अक्टूबर को दोपहर में एक घंटे के अंतराल पर दो बार कॉल किया। एक बार पुलिस को सूचना देने पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए और दूसरी बार फिरौती की रकम की व्यवस्था करने को लेकर। पिता मुकेश पैसे का इंतजाम न कर पाने को लेकर मिन्नत करते रहे, लेकिन वे नहीं पिघले। मुकेश ने आठ लाख रुपए के इंतजाम होने का हवाला दिया, जिसे लेकर आरोपियों ने पनागर क्षेत्र में बुलाया था।

16 की रात अपहरणकर्ताओं ने मुकेश को पैसे वाला बैग लेकर बुलाया था। हिदायत दी थी कि स्कूटी से सिहोरा रोड पर चलते रहना। वे जगह बताएंगे। स्कूटी का नम्बर पहले ही बताने के लिए कहा था। पुलिस ने पनागर से सिहोरा तक जगह-जगह सिविल ड्रेस में टीम लगाई, लेकिन आरोपी उनसे एक कदम आगे निकले। मुकेश भी गोसलपुर तक गए, लेकिन कॉल नहीं आया। लौटते समय रात 11 बजे के लगभग खजरी खिरिया के पास कॉल किया और बैग रोड किनारे रखवा लिया। अपहरणकर्ताओं में महाराजपुर निवासी राहुल विश्वकर्मा मुख्य आरोपी है। बहन की शादी में हुए खर्च सहित उस पर 15 लाख रुपए का कर्ज था। एक महीने पहले मलय राय के साथ मिलकर किसी बड़े आदमी के बच्चे के अपहरण की साजिश रची। वह मुकेश लाम्बा को पहले से जानता था। राहुल भी ट्रांसपोर्ट का काम कर चुका है। मुकेश जब ट्रांसपोर्ट का काम करता था, तब परिचय हुआ था। मुकेश के पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति से भी राहुल का परिचय था। उसी के साथ वह मुकेश के घर भी दो-चार बार गया था।

राहुल ने मलय के अलावा करण जग्गी को भी साजिश में शामिल किया। तीनों एक अक्टूबर से लगातार मुकेश लाम्बा के घर के आसपास कार से रैकी करने जाते थे। 15 अक्टूबर को तीनों रेकी करने पहुंचे, तो आदित्य उन्हें किराना दुकान के सामने दिख गया। साजिश के मुताबिक करण जग्गी कार से पहुंचा और आदित्य से उसके पिता मुकेश लाम्बा का नाम लेकर घर का पता पूछा। आदित्य कार में बैठ गया। आरोपी उसका मुंह दबा कर अंधमूक बायपास की ओर ले गए। आदित्य से ही मां व पिता का मोबाइल नम्बर लेकर फिरौती के लिए कॉल किया। पूरी रात आदित्य को कार में बरोदा तिराहा, पनागर क्षेत्र में घुमाते रहे। 16 की सुबह महाराजपुर अधारताल पहुंचे। राहुल के घर के बाजू में खाली पड़े मकान में आदित्य को ले गए। फिर दूसरी कार किराए से लेकर दोपहर में कुंडम बघराजी क्षेत्र में घुमाते रहे। उसी दौरान आदित्य ने राहुल को पहचान लिया। कहा कि 'अरे अंकल मैं तो आपको जानता हूं, एक बार एक अंकल के साथ घर आए थे।Ó आदित्य के पहचानने पर तीनों घबरा गए। साजिश के मुताबिक शाम को महाराजपुर पहुंचे। करण को छोड़कर राहुल और मलय कार में आदित्य को लेकर पनागर के आगे जलगांव पहुंचे। वहां आदित्य से यह कहलवाया कि 'पापा आप अकेले आना, पुलिस को मत लानाÓ रिकॉर्डिंंग की। फिर नहर के किनारे ले गए। आदित्य का हाथ व गमछे से मुंह दबा दिया। कुछ देर बाद ही मौत हो गई। गमछा सहित शव नहर में फेंक दिया। इसके बाद महाराजपुर आ गए। रात लगभग 9.30 बजे मुकेश लाम्बा को फोन लगाकर रिकॉर्ड की हुई आदित्य की आवाज सुनाकर फिरौती की मांग की थी।



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