वाटर हार्वेस्टिंग पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा सवाल, वकील ने दिया ये तर्क

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य करने के मामले में दायर याचिका पर प्रदेश सरकार व नगर निगम को जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह बाद निर्धारित की है। उल्लेखनीय है कि यह याचिका ‘पत्रिका’ में प्रकाशित खबरों को आधार बनाकर दायर की गई है। जबलपुर निवासी अधिवक्ता आदित्य संघी की ओर से याचिका दायर की गई। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि पूरे राज्य में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के अभाव में बेहद नुकसान हो रहा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अकेले जबलपुर में प्रतिवर्ष लगभग 25 अरब लीटर वर्षा जल बेकार बह जाता है। यदि इसका वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण किया जाए तो भूमिगत जलस्तर नीचे जाने की समस्या का निदान किया जा सकता है।

 

High Court of Madhya Pradesh

हर एक के लिए हो जरूरी
अधिवक्ता संघी ने कहा कि कायदे से वाटर हार्वेस्टिंग राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। यदि समय रहते जल संरक्षण व संवर्धन की दिशा में ठोस कदम न उठाए गए तो भविष्य में व्यापक जलसंकट गहराने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। भविष्य में पानी का संकट एक त्रासदी के रूप में सामने आ सकता है

प्रदेश भर में यही आलम
अधिवक्ता संघी ने तर्क दिया कि जबलपुर सहित समूचे प्रदेश में यही हाल है। बारिश के दौरान काफी जल बेकार चला जाता है। इस दिशा में अभियान चलाए गए। लेकिन सब महज रस्म अदायगी बनकर रह गए। ठोस कदम उठाने आवश्यकता है।

भूमि विकास नियम का पालन नहीं
संघी ने तर्क दिया कि भूमि विकास नियम-2012 लागू होने के आठ साल बाद भी स्थिति जस की तस है। इसके नियम 81 के तहत किसी भी निर्माण का नक्शा तभी स्वीकृत किया जाता है, जब उसमें वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई हो।



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