
जबलपुर। दिवाली पर अधिकतर लोग अपने घर गांव जाने की तैयारी में जुट गए हैं, ट्रेनों के साथ साथ बसों में भी काफी भीड़ होती है, लेकिन बस ऑपरेटर्स की मनमानी के चलते इस बार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जहां सामान्य दिनों में 800 बसों का संचालन आइएसबीटी से किया जाता था, वहीं अभी महज 150 बसें ही सडक़ों पर हैं। बसें तो पहले के मुकाबले 25 प्रतिशत है, लेकिन यात्रियों की संख्या बसों और उनकी सीट के मुकाबले अधिक है। आरटीओ और प्रशासन लगातार बस ऑपरेटर्स से बातचीत कर रहा है, लेकिन ऑपरेटर्स किसी की बात नहीं सुन रहे हैं।
800 की जगह चल रहीं महज 150 बसें, हर रूट पर यात्री ‘बेबस’
रोजाना सैकड़ों यात्री लौट रहे- आइएसबीटी में रोजाना कई यात्रियों को लौटना पड़ता है। आइएसबीटी में कभी-कभी तो यात्रियों को बसों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है और यदि बस मिली भी, तो उसमें जगह नहीं मिलती है। बस कंडक्टर और ड्राइवर मिलीभगत कर यात्रियों से अधिक किराया भी वसूल रहे हैं।
सर्वाधिक परेशानी श्रमिक और मरीजों को- बसों का संचालन पूरी संख्या में न होने के कारण सर्वाधिक परेशानी मरीजों और श्रमिकों को हो रही है। नागपुर के लिए बसें शुरू नहीं की गई, जिस कारण नागपुर आने-जाने वाले मरीज और उनके परिजनों को टैक्सी या दूसरे साधनों का उपयोग करना पड़ रहा है। वहीं मंडला, डिंडौरी, अमरकंटक, सागर और दमोह से आने वाले श्रमिकों को बस न मिलने की दशा में दूसरे साधनों का उपयोग करना पड़ रहा है, जिस कारण उन्हें अधिक किराया चुकाना पड़ रहा है।
बस ऑपरेटर्स बसों की संख्या बढ़ाएं, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऑपरेटर्स को टैक्स में छूट भी शासन द्वारा प्रदान की गई है।
- संतोष पॉल, आरटीओ
यात्रियों की संख्या कम है, इसलिए बसों की संख्या भी कम है। बसों की संख्या चरण दर चरण बढ़ाई जा रही है।
- कमल किशोर तिवारी, अध्यक्ष, आईएसबीटी बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन
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