ज़मीन पर आएंगे सब्जियों के दाम, जबलपुर बनेगा आत्म निर्भर

जबलपुर. आसमान छू रहे हरी सब्जियों के दाम से कुछ समय में राहत मिल सकती है। क्योंकि, आसपास के क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में सब्जियां खेतों में तैयार हो रही हैं। स्थानीय सब्जियों के साथ अलग-अलग प्रकार की भाजी बाजार में आने से मात्रा बढ़ेगी। इससे कीमतें गिरेंगी। अभी दूसरे जिलों और प्रदेश से सब्जियों की आवक मंडी में हो रही है। ऐसे में इनकी कीमतों में भाड़ा और दूसरी चीजें जुड़ रही हैं। बाजार में सभी प्रकार की हरी सब्जियां महंगी हैं। बरबटी 80 रुपए किलो बिक रही है। गोभी का एक फूल 15 से 25 रुपए तक बिक रहा है। परवल आलू और प्याज की कीमतें ज्यादा होने से आम आदमी के घर का बजट बिगड़ गया है। किसानों के अनुसार 20 नवम्बर और दिसम्ंबर के पहले सप्ताह तक स्थानीय स्तर पर लगाई गई सब्जियां बड़ी मात्रा में बाजार में आ जाएंगी। सब्जी विक्रेता रंजीत सिंह ने बताया कि अभी ज्यादातर सब्ज्यिां बाहर से आने के कारण मंडी में दाम ऊंचे हैं।
इन सब्जियों की होगी आवक
लौकी, गिलकी, टमाटर, मैथी, लालभाजी, पालक, भटा, मूली, हरी मिर्च, करेला, फूलगोभी। मटर भी आएगीशहर में हरा मटर भी सब्जी का बड़ा विकल्प है। इसके बाजार में आने से दूसरी सब्जियों पर निर्भरता कम होती है। इसी प्रकार मैथी की भाजी, चना भाजी, पालक तथा लालभाजी भी प्रचुर मात्रा में बाजार में आने से राहत के आसार हैं।
सब्जी का बड़ा उत्पादक है जिला
सब्जी उत्पादन के मामले में जबलपुर प्रदेश में अच्छा योगदान रखता है। लगभग सभी तरह की सब्जियां यहां होती हैं। इनका बड़ा रकबा है। चालू उत्पादन वर्ष में करीब 94 हजार मीट्रिक टन टमाटर, 49 हजार आलू, 2 लाख 20 हजार मटर, 42 हजार प्याज, 38 हजार लौकी, 55 हजार भटा, 27 हजार फूलगोभी, 40 हजार पत्ता गोभी, 21 हजार भाजी, 46 हजार मीट्रिक टन भिंडी का उत्पादन अनुमानित है।
यह हैं भाव
सब्जी--कीमत
परवल 80-100
बरबटी 70-80
भिंडी 40-50
शिमला 60-80
टमाटर 50-60
आलू 40-50
प्याज 60-70
भटा 30-40
मेथी 60-70
पालक 40-50
पत्तागोभी 30-40
गिलकी 40-50
(दाम प्रति किलो रुपए में)



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