
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने बहुचर्चित व्यापमं महाघोटाले के आरोपी को जमानत नहीं दी। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने आरोपी की अर्जी खारिज कर कहा कि दूसरे की जगह पीएमटी की परीक्षा देकर उसे चयनित कराने का आरोप गम्भीर किस्म का है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती।
अभियोजन के अनुसार आरोपी पटना बिहार निवासी प्रितेश सिंह ने मप्र पीएमटी 2009 परीक्षा में सह आरोपी विकास सिंह की जगह इमपरसोनेटर की हैसियत से भाग लिया। उसने विकास को इस परीक्षा में अवैध तरीके से चयनित कराया। जांच के बाद प्रितेश व अन्य के खिलाफ 2015 में भोपाल के कोहेफिजा थाने में भादवि की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की धारा 3/4 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। आरोपी प्रितेश को 5 सितम्बर 2020 को गिरफ्तार किया गया। इसी मामले में जमानत पाने के लिए प्रितेश की ओर से यह जमानत की अर्जी पेश की गई। अधिवक्ता शरद वर्मा ने तर्क दिया कि आवेदक के अन्य सह आरोपियों को जमानत का लाभ मिल चुका है, लिहाजा उसे भी दिया जाना चाहिए। सीबीआई की ओर से अर्जी का विरोध करते हुए तर्क दिया गया कि फोटोग्राफ परीक्षण से आरोपी का अपराध में संलग्न होना स्पष्ट है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपराध को गम्भीर बताकर अर्जी निरस्त कर दी।
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