
जबलपुर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन को तलब किया है। यह जानने के लिए कि एससी-एसटी के सापेक्ष पिछड़ा वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति में असमानता क्यों है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि सरकारी व निजी कॉलेजों के छात्रों की छात्रवृत्ति के मसले पर भेदभाव क्यों? कोर्ट ने नोटिस जारी कर राज्य शासन सहित अन्य से 22 अक्टूबर तक जवाब तलब किया है। ये जवाब तलब प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस बीके श्रीवास्तव की युगलपीठ ने किया है।
दरअसल सतना निवासी छात्र प्रांशु यादव की ओर से याचिका दायर की गई थी। प्रांशु के अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने दलील दी कि राज्य के निजी कॉलेजों में ओबीसी व एससी-एसटी वर्ग के छात्रों संग छात्रवृत्ति के मसले में भेदभाव किया जा रहा है। एससीएसटी वर्ग के छात्रों को बेसिक पाठ्यक्रम के तहत अधिक छात्रवृत्ति दी जा रही है। वहीं ओबीसी वर्ग को जनभागीदारी के तहत कम छात्रवृत्ति दी जा रही है।
निजी व सरकारी कॉलेजों में भी ऐसी ही विसंगति सामने आ रही है। सरकारी कॉलेज में ओबीसी वर्ग को अधिक, जबकि निजी कॉलेजों में कम छात्रवृत्ति मिल रही है। अधिवक्ता तिवारी ने तर्क दिया कि यहां तक कि एक ही निजी कॉलेज में ओबीसी व एससी, एसटी वर्ग के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति के अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। याचिकाकर्ता को ही 2017-18 में 26780 रु व 2018-19 में 27720 रुपये छात्रवृत्ति दी गई, जबकि 2019-20 में यह घटाकर 11018 रु कर दी गई।
इस तरह की विसंगति संविधान के तहत दिए गए समता के अधिकार का हनन है। उन्होंने आग्रह किया कि ओबीसी व एससी, एसटी वर्ग को सरकारी व निजी कॉलेजों में एक समान छात्रवृत्ति प्रदान करने के निर्देश दिए जाएं। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग सचिव, आयुक्त पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग सचिव व उप संचालक, सतना कलेक्टर, रीवा कमिश्नर व सतना के स्कॉलर्स होम कॉलेज प्राचार्य को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
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