गजब, MP में 16 हजार से ज्यादा सरकारी शिक्षकों का कोई अता-पता नहीं

जबलपुर. एक तरफ शिक्षकों की कमी से सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर शिक्षक हैं कि वो जानें कब से स्कूल ही नहीं आ रहे। प्रदेश स्तर पर ऐसे 16 हजार से ज्यादा शिक्षक हैं जिनका कोई रिकार्ड नहीं है। ऐसे में अब शासन स्तर से मंडल व जिला स्तर के अधिकारियों से ऐसे शिक्षकों का पता लगाने को कहा गया है। अब भी अगर डाटा में अंतर आता है तो नियमित तौर पर स्कूल न आने वाले शिक्षकों पर गाज गिरनी तय है।

लोक शिक्षण संचालनालय ने इस संबंध में प्रदेश के सभी संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजा है। उन्हें निर्देश दिया है कि 2018-19 में 3 लाख 20440 शिक्षक थे तो जब 2019-20 में इनकी संख्या संख्या 3 लाख 4225 कैसे हो गई इसका पता लगाया जाए। शिक्षण संचालनालय ने सभी जिलों से शिक्षकों की अपडेट स्थिति की जानकारी तलब की है। बताया जा रहा है कि सर्वाधिक गैरहाजिरी सिंगरौली जिले में पाई गई है।

लोक शिक्षण संचालनालय ने कहा है कि शिक्षकों की कमी से प्रदेश की रैंकिंग खराब होगी और छात्र-शिक्षक अनुपात भी गड़बड़ाएगा. इससे केंद्र से मिलने बाले अनुदान में कटौती की जाएगी सो अलग। विभाग ने स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक वर्षों से स्कूल न आकर दूसरों कामों में व्यस्त हैं। ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की जाए।

संचालनालय के इस सख्त निर्देश के बाद स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की दोबारा गिनती शुरू की जा रही है। वैसे स्थानीय अधिकारी बचाव की मुद्रा में हैं। उनका तर्क है कि स्थानांतरण व पदस्थापना के बाद विभाग के कंप्यूटर साफ्टवेयर में भरी गई जानकारी भिन्न होने के कारण शिक्षकों की गैरमौजूदगी बड़ी संख्या में दिखाई दे रही है।

"जिले में 40 शिक्षकों को लेकर परेशानी आ रही है। ये शिक्षक स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। हालांकि यह सब ट्रांसफर के कारण हुआ है, क्योंकि पोर्टल में जल्दबाजी कर जानकारी फीड की गई है। प्रदेश में यह आंकड़ा करीब 16 हजार है।"-अजय दुबे, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, डीईओ कार्यालय



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