
जबलपुर। कोरोना कहर बढऩे के साथ ही जबलपुर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हालत तो यह होती जा रही है कि अब घर में होने वाली संक्रमितों या संदिग्धों की मौत के बाद शव की शिफ्टिंग में आठ से 12 घंटे तक लग जाते हैं। आलम यह है कि श्मशान घाटों पर जगह ही नही बची है। इस तरफ प्रशासन की व्यवस्थाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं।
रात भर घर में रहा शव
कोतवाली में एक परिवार के आठ सदस्यों का 15 सितम्बर को कोविड टेस्ट हुआ। इसमें पांच पॉजिटिव और दो निगेटिव मिले। परिवार के 90 वर्षीय बुजुर्ग जो कि कोरोना संदिग्ध थे, उनकी गुरुवार रात सांस लेने में समस्या हुई। रात में 11 बजे घर पर ही मौत हो गई। परिवार के सदस्यों ने प्रशासन को सूचित किया। संदिग्ध शव रात भर घर में रहा। शुक्रवार को दोपहर 12 बजे अंतिम संस्कार हुआ।
अंतिम संस्कार के लिए व्यवस्था सीमित
करमेता निवासी 82 वर्षीय कोरोना संदिग्ध वृद्ध की शुक्रवार सुबह घर में मौत हो गई। उनकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। संदिग्ध होने पर कोविड प्रोटोकॉल में अंतिम संस्कार हुआ। कोविड पॉजिटिव और संदिग्ध शव की संख्या ज्यादा होने और चौहानी श्मशान घाट में व्यवस्था सीमित होने के कारण अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। वृद्ध का शाम को 5 बजे हो सका।
किसी ने नहीं ली सुध
घंटाघर के पास एक कोरोना संक्रमित की कुछ दिन पहले घर में मौत हुई। रात में मृत्यु होने पर नगर निगम को सूचित किया गया। निर्देश के अभाव में परिजन शव को रात भर घर में रखे रहे। अगले दिन दोपहर तक किसी ने सुध नहीं ली तो परिजन ने स्वयं सेवा संस्था मोक्ष से मदद मांगी। संस्था की सहायता से मृतक का कोविड प्रोटोकॉल में अंतिम संस्कार किया गया। मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर के अनुसार कोरोना संदिग्ध व्यक्तिकी घर में मृत्यु परिजन सहायता के लिए फोन कर रहे हैं। नगर निगम की टीम के नहीं पहुंचने पर संस्था के सदस्यों ने कोविड प्रोटोकॉल में मृतकों का अंतिम संस्कार किया। कोविड संक्रमित और संदिग्ध शव लगातार बढ़ रहे है। इससे चौहानी मुक्तिधाम में जगह की कमी हो रही है। अंतिम संस्कार के लिए शेड कम पड़ रहे है। अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर इंतजार करना पड़ रहा है।
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