
जबलपुर. जानकार ऑक्सीजन केन को घर पर उपयोग के लिए बेहतर नहीं मान रहे। इसके भरोसे ज्यादा देर तक कोरोना मरीज को स्थिर नहीं रखा जा सकता। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार सांस लेने में समस्या महसूस होने पर मरीज का अस्पताल जल्दी आना जरूरी है। दो-पांच मिनट ही करता है काम बाजार में बिक रहे पोर्टेबल ऑक्सीजन केन में 200-250 पफ/ ब्रीथ शॉट होते है। सांस लेने में समस्या होने पर इसका निरंतर प्रयोग होने पर एक केन 2-5 मिनट में खत्म हो जाती है। जानकारों का मानना है कि यह केन इमरजेंसी में मरीज को कुछ देर ऑक्सीजन देने तक काम आ सकती है। कर रहे नजरअंदाज ज्यादातर खरीददार कोरोना की जरूरत को देखते हुए ऑक्सीजन केन मांग रहे हैं।
शहर में कोरोना के लगातार फैलाव के बीच संक्रमण से लड़ाई की जरूरत के लिए बाजार में कई तरह के टूल धड़ल्ले से बिक रहे है। जबसे कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी से फायदे की बात निकलकर सामने आई है, ऑक्सीजन के अलग-अलग पैक बाजार में बिकने लगे हैं। दुकानों से लेकर ई-कॉमर्स कम्पनियों के प्लेटफॉर्म पर ऑक्सीजन केन आसानी से उपलब्ध है। जरूरत पडऩे पर घर में रहकर कोरोना मरीज को थैरेपी के लिए लोग पांच से छह सौ रुपए में मिल रहे पोर्टेबल ऑक्सीजन केन खरीद रहे है। इसकी पैकिंग में दर्ज चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं। केन में ड्राय ऑक्सीजन है, जो केमिकल बेस्ड है। उपयोग में लापरवाही से स्वास्थ्य एवं नाजुक अंग को नुकसान हो सकता है। वृद्ध मरीज को ऑक्सीजन प्रेशर से समस्या हो सकती है। दवा कारोबारियों के अनुसार पहले ऑक्सीजन केन की पूछ-परख ही नहीं थीं। हाल में कई कम्पनियों ने यह उत्पाछ उपलब्ध कराया है। एक महीने के अंदर ऑक्सीजन केन से लेकर मिनी सिलेंडर की पूछताछ भी बढ़ी है। ऑक्सीजन लेवल अलर्ट -97 प्रतिशत के करीब होता है रक्त में ऑक्सीजन का सामान्य स्तर। यह 95 से 99 प्रतिशत के बीच भी हो सकता है। - 95 प्रतिशत से कम लगातार बने रहने पर कोरोना संदिग्ध या संक्रमित को सावधान होना चाहिए। लगातार ध्यान देना होगा। - 50 से 70 प्रतिशत के बीच आ जाता है कोरोना संक्रमित के रक्त में ऑक्सीजन का स्तर सम्बंधित के अनदेखी करने पर। - 80 प्रतिशत के स्तर पर ऑक्सीजन पहुंचने पर शरीर के प्रमुख अंगों के खराब होने का खतरा सामान्य रूप से बढ़ जाता है।
---------------
- 05 सौ से 06 सौ रुपए में मिल रहे पोर्टेबल ऑक्सीजन केन/सिलेंडर
- 05 से ज्यादा पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर की फिलहाल प्रतिदिन बिक्री
- 2-5 मिनट के करीब ही एक केन से ऑक्सीजन निकलती है लगातार
- 2-3 लीटर प्रति घंटे तक जरुरत पडऩे पर कोरोना में ऑक्सीजन देते हैं
----------- विशेषज्ञों का मत नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में डॉ. सचिन कुचया के अनुसार पोर्टेबल ऑक्सीजन केन कोरोना मरीजों के लिए उपयोगी नहीं है। 95 प्रतिशत कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं होती। कोरोना संदिग्ध या संक्रमित के लिए जरूरी है कि वह सही समय पर अस्पताल पहुंचे। सांस लेने में समस्या महसूस होने पर बिल्कुल देर ना करें। जल्दी अस्पताल जाने और उपचार शुरू होने पर ज्यादातर मरीज बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के स्वस्थ्य हो सकते हैं।
----------- एनीस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ. आशीष सेठी के अनुसार पोर्टेबल ऑक्सीजन केन इमरजेंसी में सिर्फ मरीज को घर से अस्पताल तक ले जाने में उपयोग किए जा सकते हैं। इसकी सहायता से कोरोना मरीज को घर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करना सम्भव नहीं है। मरीज को अचानक सांस लेने में समस्या हो वह गम्भीर हो जाए और एम्बुलेंस ना हो, तो दो-तीन केन होने पर ऑक्सीजन देते हुए मरीज को अस्पताल तक ले जा सकते हैं।
-------------- विशेषज्ञ डॉ. शशांक जैन के अनुसार पोर्टेबल केन में कैमिकल बेस्ड ऑक्सीजन होती है। केमिकल के साथ रिस्क फैक्टर होता है। कोरोना मरीज को ऑक्सीजन सही दबाव में मिलना भी जरूरी है। सामान्य रूप से कोरोना मरीज को जितनी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उतनी केन से पूर्ति नहीं हो सकती। होम आइसोलेशन में जरूरत होने पर मरीज को मिनी ऑक्सीजन सिलेंडर रखना चाहिए। उसके उपयोग की जानकारी भी बेहतर तरीके से प्राप्त करना चाहिए।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/33d4D1z
#jabalpur
0 Comments